आमलकी एकादशी

ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.तथा ईश्वर से कामना करता हूं की आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..

दोस्तों मैं आपको आज अपने इस ब्लॉग में आमलकी एकादशी के विषय में बताने जा रहा हूं. 

आमलकी एकादशी का महत्व:-

आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। साथ ही इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि सृष्टि की रचना के समय भगवान विष्णु ने आंवले को पेड़ के रूप में प्रतिष्ठित किया था। वहीं शास्त्रों के अनुसार आमलकी एकादशी का व्रत रखने पर मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है और घर में सुख- समृद्धि का वास होता है।

आमलकी एकादशी के पूजा का समय:-

इस बार आमलकी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है।एकादशी तिथि 13 मार्च 22 को सुबह 10:21 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 14 मार्च 22 को दोपहर 12:05 मिनट तक रहेगी।परंतु उदया तिथि के अनुसार 14 मार्च 2022 को यह एकादशी मनाई जाएगी.

आमलकी एकादशी के लिए पूजन सामग्री:-

भगवान श्री हरि विष्णु जी की मूर्ति या प्रतिभा आंवले के पेड़ या आंवला,धूप, दीप, रोली, चंदन, फूल, अक्षत,कलश, वस्त्र ,घी,नवरत्न युक्त कलश इत्यादि.

आमलकी एकादशी के लिए पूजन विधि:-

इस दिन सुबह उठकर स्नानआदि नित्य कर्म करने के पश्चात स्वक्ष कपड़े धारण करें तथा अपने घर के मंदिर की साफ सफाई करें तथा गंगाजल से छिड़काव करें तथा भगवान विष्णु का ध्यान करें। साथ ही व्रत रखने का संकल्प करें।इसके बाद घी का दीपक जलाकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। पूजा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे नवरत्न युक्त कलश स्थापित करें। अगर आस-पास आंवले का पेड़ नहीं है तो घर पर ही भगवान विष्णु को आंवला प्रसाद के रूप में अर्पित करें।व्रत के अगले दिन भी व्रत का पारण करने से पहले विष्णु जी की पूजा कर किसी जरूरमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को कलश, वस्त्र और आंवला दान में देना चाहिए। इसके बाद भोजन ग्रहण कर उपवास खोलें।

आमलकी एकादशी के लिए व्रत कथा:-

पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि ब्रह्मा जी भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न हुए थे। एक दिन ब्रह्मा जी ने खुद को जानने की कोशिश की, जिसके लिए उन्होंने परब्रह्म की तपस्या करनी शुरू कर दी। उनकी भक्तिमय तपस्या से प्रसन्न होकर परब्रह्म भगवान विष्णु उनके सामने प्रकट हो गए। जैसे ही ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु को अपने समीप देखा वैसे ही वह रोने लगे। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी के आंसू भगवान विष्णु के चरणों पर गिर रहे थे। यह आंसू भगवान विष्णु के चरणों पर गिरकर आंवले के पेड़ में तब्दील हो गए थे। यह देख कर भगवान विष्णु ने कहा कि यह वृक्ष और इस वृक्ष का फल मुझे अत्यंत प्रिय रहेगा और जो भक्त आमलकी एकादशी पर इस वृक्ष की पूजा विधिवत तरीके से करेगा उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी तथा उसके सारे पाप मिट जाएंगे।

आमलकी एकादशी के लिए मंत्र तथा उपाय:-

1.‘मम कायिकवाचिकमानसिक 

सांसर्गिकपातकोपपातकदुरित 

क्षयपूर्वक श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त 

फल प्राप्तयै श्री परमेश्वरप्रीति 

कामनायै आमलकी 

एकादशी व्रतमहं करिष्ये II

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…

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