ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों आज मैं आपको इस ब्लॉक में छठ पूजा के विषय में बताने जा रहा हूं जो कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सृष्टि को पड़ता है दीपावली के बाद आने वाला मुख्य त्यौहार है.
छठ पूजा का महत्व:-
छठ पूजा के दिन भगवान सूर्य नारायण जी की पूजा अर्चना की जाती है तथा इस दिन सूर्य भगवान को अर्थ दिया जाता है तथा छठ पूजा का अनुष्ठान, (शरीर और मन शुद्धिकरण द्वारा) मानसिक शांति प्रदान करता है, ऊर्जा का स्तर और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जलन क्रोध की आवृत्ति, साथ ही नकारात्मक भावनाओं को बहुत कम कर देता है। यह भी माना जाता है कि छठ पूजा प्रक्रिया के उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद करता है।
छठ पूजा का समय:-
08 नवंबर 2021, सोमवार – नहाय-खाय
09 नवंबर 2021, मंगलवार – खरना
10 नवंबर 2021, 05:30 PM बुधवार – डूबते सूर्य का अर्घ्य
11 नवंबर 2021, 06:40 AMगुरुवार – उगते सूर्य का अर्घ्य
छठ पूजन के लिए सामग्री:-
दौरी या डलिया,सूप – पीतल या बांस का,नींबू,नारियल (पानी सहित),पान का पत्ता,गन्ना पत्तो केसाथ,शहद,सुपारी,सिंदूर,कपूर,शुद्ध घी,कुमकुम,शकरकंद/गंजी,हल्दी और अदरक का पौधा,नाशपाती व अन्य उपलब्ध फल,अक्षत (चावल के टुकड़े),खजूर या ठेकुआ,चन्दन,मिठाई,इत्यादि..
पूजा विधि:-
कार्तिक शुक्ल छठी तिथि को पूरा दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। इस दिन व्रती अपने घर पर बनाए पकवानों और पूजन सामग्री लेकर आसपास के घाटों पर पहुंचते हैं।घाट पर ईख का घर बनाकर एक बड़ा दीपक जलाया जाता है।सबसे पहले व्रती घाट में स्नान करते हैं और पानी में रहते हुए ही ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।इसके बाद घर पर सूर्य देव का ध्यान करते हुए रात भर जागरण किया जाता है। जिसमें छठी माता के प्राचीन गीत गाए जाते हैं।सप्तमी के दिन यानी व्रत के चौथे और आखिरी दिन सूर्य उगने से पहले घाट पर पहुंचें। इस दौरान अपने साथ पकवानों की टोकरियां, नारियल और फल भी रखें।अब उगते हुए सूर्य को जल श्रद्धा से अर्घ्य दें। छठ व्रत की कथा सुनें और प्रसाद बांटे।आखिर में व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें।
छठ पूजा मंत्र:-
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।। ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..
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