ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों आज मैं आपको इस ब्लॉग में दीपावली पूजन के विषय में बताने जा रहा हूं जिसे कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है तथा इसे प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है.
दीपावली पूजन का महत्व:-
इस दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा-अर्चना का विधान होता है तथा दीपावली के समय शुभ मुहूर्त पर माता लक्ष्मी और गणेश जी को मंदिर में स्थापित कर पूजन अर्चन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है तथा घर में धन ऐश्वर्य वैभव भी आता है घर हमेशा धन से परिपूर्ण रहता है धन की कभी कमी नहीं होती तथा विधि विधान पूर्वक से पूजन अर्चन करने से व्यापार करने वाले लोगों को भी उनके व्यापार में वृद्धि मिलती है तथा व्यापार उनका अच्छे से चलने लग जाता है.
दीपावली पूजन का समय:-
इस साल कार्तिक अमावस्या कि तिथि 4 नवंबर 2021 को सुबह 6:03 से शुरू हो कर 5 नवंबर 2021 को रात 2:44 तक रहेगी।पूजन का समय 4 नवंबर 2021 के सायंकाल में 18:10:28 से 20:06:18 तक रहेगा.
दीपावली के दिन प्रयोग में लाए जाने वाली पूजा सामग्री:-
मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, कुमुकम,मिटटी के दीपक, और पीतल का दीपक, कलावा, रोली, सुपारी, नारियल, सिंदूर, चंदन, पंचामृत, बताशे, खील, लाल वस्त्र, चौकी, कमल गट्टे की माला, कलश, शंख, थाली,अक्षत (चावल),अशोक या आम के पत्ते, हल्दी, दीप, धूप, कपूर, रूई, दही, शहद, गंगाजल, फूल, फल, गेहूं, जौ, दूर्वा, चांदी का सिक्का, बैठने के लिए आसन, और प्रसाद।
पूजन विधि:-
दीपावली के दिन आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान आदि नित्य कर्म करने के तत्पश्चात स्वच्छ कपड़े धारण कर घर के मंदिर की सफाई करें तथा घर के मंदिर में गंगाजल के छिड़काव भी करें तत्पश्चात सायंकाल को पूजा के समय गणेश तथा लक्ष्मी जी की मूर्ति को स्थापित करें.तत्पश्चात विधिपूर्वक मंदिर में कलश को स्थापित करें. परंतु इस बात का ध्यान रखें कि लक्ष्मी जी के दाहिने तरफ गणेश जी की मूर्ति स्थापित होनी चाहिए. तैयारी के बाद सबसे पहले कलश को तिलक लगाकर पूजा आरम्भ करें।
इसके बाद अपने हाथ में फूल और चावल लेकर मां लक्ष्मी का ध्यान करें।
ध्यान के पश्चात भगवान श्रीगणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर फूल और अक्षत अर्पण करें।अब दोनों प्रतिमाओं को चौकी से उठाकर एक थाली में रखें और दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं। इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराकर वापस चौकी पर विराजित कर दें । स्नान कराने के उपरांत लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को टीका लगाएं। फिर लक्ष्मी गणेश जी को हार पहनाएं। इसके बाद लक्ष्मी गणेश जी के सामने खीले-खिलौने, बताशे, मिठाइयां फल, पैसे और सोने के आभूषण रखें। इसके बाद पूरा परिवार मिलकर गणेश जी और लक्ष्मी माता की कथा सुनें और फिर मां लक्ष्मी की आरती उतारें।
दीपावली के लिए मंत्र तथा आरती:-
1.मां लक्ष्मी मंत्र:-ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
2.सौभाग्य प्राप्ति मंत्र:-ऊं श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
3.कुबेर मंत्र:-ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय।
4.लक्ष्मी जी की आरती:-
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।
आरती के तत्पश्चात आप सर्वप्रथम तुलसी जी को आरती दिखाएं उसके बाद आप सभी लोगों को आरती लेने को कहें.
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..
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