ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों आज मैं अपने इस ब्लॉग में भाई दूज के विषय में बताने जा रहा हूं जोकि दीपावली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाने वाला त्यौहार है.
भाई दूज का महत्व:-
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक है।.. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती है। .वहीं भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार देता है।
भाई दूज का समय:-
भाई दूज का समय कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष द्वितीय के 6 नवंबर 2021 के समय दिन में 1:10 से प्रारंभ होकर 3:21 तक रहेगा।
भाई दूज के लिए पूजा सामग्री:-
कुमकुम, सिंदूर, चंदन, चावल, कलावा, फल, फूल, मिठाई, सुपारी, कद्दू के फूल, बताशे, पान और काले चने इत्यादि.
भाई दूज की पूजन विधि:-
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्य कर्म करने के तत्पश्चात स्वच्छ कपड़े धारण कर लें तथा भाई के बैठने के लिए आसन तैयार कर ले तत्पश्चात अपने ईष्ट देव और विष्णु एवं गणेशजी का व्रत-पूजन करें।फिर भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाएं, उसके ऊपर थोड़ा सा सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, सुपारी, मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ें। फिर हाथों में कलवा बांधे।
कहीं-कहीं पर इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर कलाइयों में कलावा बांधती हैं। इसके बाद माखन-मिश्री से भाई का मुंह मीठा करें। फिर भोजन कराएं।कलावा बांधने के बाद अब शुभ मुहूर्त में तिलक लगाएं और आरती उतारें। उपरोक्त सभी सामग्री से भाई की पूजा करें और फिर आरती उतारें।
तिलक की रस्म के बाद बहनें भाई को भोजन कराएं और उसके बाद उसे पान खिलाएं। भाई दूज पर भाई को भोजन के बाद पान खिलाने का ज्यादा महत्व माना जाता है। मान्यता है कि पान भेंट करने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है।तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करें और सदैव उनकी रक्षा का वचन दें।
Note:-अंत में संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर दीये का मुख दक्षिण दिशा की ओर करके रखें।
भाई दूज पूजा मंत्र:-
गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले-फलें।।
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..
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