ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे….
माता सिद्धिदात्री के पूजन का महत्व:-
हमारे हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार मान्यता है कि मां ने पृथ्वी को असुरों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए अवतार लिया था। कहा जाता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शंकर का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसके चलते इन्हें अर्द्धनारीश्वर भी कहा जाता है।
माता सिद्धिदात्री की पूजन विधि:-
आज के दिन मां को विदा किया जाता है। इस दिन सुबह सवेरे उठ जाना चाहिए। फिर स्नान करने के बाद चौकी लगानी चाहिए। इस पर मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद मां को पुष्प अर्पित करें। मां को अनार का फल चढ़ाएं। फिर नैवेध अर्पित करें। मां को मिष्ठान, पंचामृत और घर में बनने वाले पकवान का भओग लगाया जाता है। इस दिन हवन भी किया जाता है। इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है।
माता सिद्धिदात्री के पूजन मंत्र:-
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
मां सिद्धिदात्री की आरती:-
जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता .
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ..
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि .
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ..
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम .
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ..
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है .
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है ..
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो .
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ..
तू सब काज उसके करती है पूरे .
कभी काम उसके रहे ना अधूरे ..
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया .
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ..
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली .
जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली ..
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा .
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा ..
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता .
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..
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