सफला एकादशी

सफला एकादशी

ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..

दोस्तों आज मैं आपको अपने इस ब्लॉक में सफला एकादशी के विषय में बताने जा रहा हूं.

सफला एकादशी का महत्व:-

ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से सफला एकादशी नियमों का पालन कर भगवान विष्णु जी के निमित्त व्रत उपवास करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान की कृपा से शीघ्र पूर्ण होती हैं। तथा सफला एकादशी की कथा श्रवण मात्र से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है।

सफला एकादशी का समय:-

एकादशी तिथि प्रारम्भ – 29 दिसंबर 2021 को दोपहर 04 बजकर 12 मिनट से. एकादशी तिथि समाप्त – 30 दिसंबर 2021 को दोपहर 01 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. परंतु उदया तिथि के अनुसार यह एकादशी 30 दिसंबर 2021 को ही मनाया जाएगा.तथा सफला एकादशी व्रत का पारण मुहूर्त- 31 दिसंबर 2021, शुक्रवार   प्रात: 07:14 मिनट से प्रात: 09:18 मिनट तक रहेगा.

सफला एकादशी के लिए पूजन सामग्री:-

भगवान् श्री हरि विष्णु जी की मूर्तियां प्रतिमा, पूजा फल, फूल, पुष्प, धूप, दीप, कपूर-बाती पीले मिष्ठान, गंगाजल,इत्यादि.

सफला एकादशी के लिए पूजन विधि:-

इस दिन आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठकर स्नान इत्यादि नित्य कर्म करने के तत्पश्चात आप घर के मंदिर की सफाई करें गंगा जल  से छिड़काव करें तथा स्वच्छ कपड़े धारण करें तथा घर के मंदिर में भगवान श्री हरि विष्णु जी की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें तथा उन्हें फल फूल पुष्प अर्पित करें तथा उनके समक्ष धूप दीप इत्यादि प्रज्वलित करें तत्पश्चात भगवान श्री हरि विष्णु जी की आरती करें.तथा भगवान श्री हरि विष्णु जी को चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में लोगों को बांट दें तथा  व्रत पारण के समय खुद भी खाएं.

सफला एकादशी के लिए व्रत कथा;-

प्राचीन समय में महिष्मान नामक प्रतापी राजा चंपावती राज्य में रहता था। उसका पुत्र बेहद निर्दयी था। प्रजा की भलाई के लिए कोई कार्य नहीं करता था, बल्कि प्रजा पर वह अत्याचार करता रहता था। इससे प्रजा में त्राहिमाम मच गया। यह जान राजा महिष्मान ने अपने पुत्र को नगर से बाहर निकाल दिया। उस समय राजा के पुत्र ने नगर में चोरी करने की सोची और रात्रि के अंधेरे में चोरी करने के उद्देश्य से नगर में घुस गया।हालांकि, चोरी करने के क्रम में लुंपक पकड़ा गया। तभी नगरवासियों ने लुंपक को पहचान लिया। भीड़ में किसी एक व्यक्ति ने कहा-यह तो राजा महिष्मान के पुत्र हैं। इन्हें छोड़ दें। लुंपक ने क्षमा याचना की। इसके बाद लुंपक किसी तरह अपना जीवन व्यतीत करने लगा। पौष माह में कृष्ण पक्ष की दशमी को अति शीत होने के कारण लुंपक मूर्छित हो गया। एकादशी के दिन वह पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का सुमरन करने लगा।इस दौरान उसने अन्न-जल ग्रहण नहीं किया। सूर्यास्त के पश्चात लुंपक ने ईश्वर को याद कर फल ग्रहण किया। इस तरह लुंपक ने अनजाने में सफला एकादशी का व्रत कर लिया। इसके पुण्य प्रताप से लुंपक बड़ी जल्दी ठीक हो गया और उसने सभी आसुरी कार्य छोड़ दिया।

सफला एकादशी के लिए मंत्र:-

1.विष्णु मंत्र:-

1.ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

2.ॐ ह्रीं श्री लक्ष्मीवासुदेवाय नमः

3.ॐ नमो नारायण

2.धन-वैभव प्राप्ति हेतु मंत्र:-

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।

3.लक्ष्मी विनायक मंत्र:-

दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..

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