गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा

ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..

दोस्तों आज कि मैं अपनी इस ब्लॉग में गोवर्धन पूजा के विषय में बताने जा रहा हूं जोकि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है.

गोवर्धन पूजा का समय:-

पंचांग के अनुसार 05 नवंबर 2021, शुक्रवार को प्रतिपदा तिथि को प्रात: 02 बजकर 44 मिनट शुरू होगी और रात्रि में 11 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी. गोवर्धन की पूजा 5 नवंबर 21 को ही मनाया जाएगा. गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – प्रात: 6:36 से प्रात:  8:47 तक.तथा सायंकाल मुहूर्त 5:16 से 5:43 मिनट तक है.

गोवर्धन पूजा की कथा:- 

इस पूजा की एक बहुत ही पुरानी कहानी है कहा जाता है एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों से इंद्रदेव की पूजा करने के बजाय गोवर्धन की पूजा करने को कहा. इससे पहले गोकुल के लोग इंद्रदेव को अपना इष्ट मानकर उनकी पूजा करते थे. भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों से कहा कि गोवर्धन पर्वत के कारण ही उनके जानवरों को खाने के लिए चारा मिलता है. गोर्वधन पर्वत के कारण ही गोकुल में बारिश होती है.

इसलिए इंद्रदेव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना की जानी चाहिए.जब इंद्रदेव को श्रीकृष्ण की इस बात के बारे में पता चला तो उन्हें बहुत क्रोध आया और बृज में तेज बारिश शुरू कर दी. तब श्रीकृष्ण भगवान ने बृज के लोगों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर बृजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचा लिया. तब बृज के लोगों ने श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाया था. इससे खुश होकर श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों की हमेशा रक्षा करने का वचन दिया था.

गोवर्धन पूजा सामग्री:-

गेंहू, चावल, गाय का गोबर, रोली, चावल, खीर, बताशे, जल,दूध, दही, शहद, गंगाजल, शक्कर, धूप, दीप, पान, केसर, फूल, गुड़, हरा चारा, नैवेद्य, तुलसी का पत्ता, पीले फूलों की माला, बांसुरी, फल और दक्षिणा आदि‌।

गोवर्धन पूजा विधि:-

इस दिन आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्य कर्म करने के पश्चात स्वच्छ कपड़े धारण करें तथा घर के मंदिर की सफाई करें गंगाजल का छिड़काव करें उसके बाद आप घर के मंदिर में गोबर से गोवर्धन नाथ (श्री कृष्ण जी) की प्रतिमा बनाएं. इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर और फूल आदि से दीपक जलाकर उसकी पूजा करें। गोबर से बनाए गए गोवर्धन नाथ की परिक्रमा करें। फिर ब्रज के देवता गिरिराज भगवान को प्रसन्न करने के लिए अन्नकूट भोग लगाएं। अन्नकूट में 56 तरह के खाद्य पदार्थ शामिल किए जाते हैं। इस दिन प्रदोष काल में यानी शाम के समय में विधि-विधान से श्री कृष्ण भगवान की पूजा की जाती है। साथ ही गोवर्धन पूजा के दिन गाय की पूजा कर उसे गुड़ और हरा चारा खिलाना अच्छा माना जाता है।

गोवर्धन पूजा मंत्र:-

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।

विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।

हे कृष्ण करुणासिंधो दीनबंधो जगतपते।

गोपेश गोपिकाकांत राधाकान्त नमोस्तुते।

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..

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