ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…
इस साल अमावस्या तिथि 24 और 25 दोनों दिन है, लेकिन 25 को तिथि समाप्त हो रही है, उदया तिथि के अनुसार 24.10.2022 को ही दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है.
दिवाली पूजन के लिए शुभ मुहूर्त:-
24 अक्टूबर 2022 को रात 07:02 मिनट से रात 08:23 मिनट तक प्रदोष काल यानी की संध्या के समय मां लक्ष्मी की पूजा का उत्तम समय है.लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त – रात 11.46 – प्रात: 12.37,
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – रात 10:36 – प्रात: 12:00.
दिवाली पूजन का महत्व:-
1.रोशनी का पर्व दीपावली सनातन धर्म का प्राचीन पर्व है। यह प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस पर्व के साथ अनेक धार्मिक, पौराणिक एवं ऐतिहासिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। यह पर्व श्रीराम के लंकापति रावण पर विजय हासिल करके और चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।
2.लक्ष्मी की कृपा से ही ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति होती है। कार्तिक अमावस्या की पावन तिथि पर धन की देवी को प्रसन्न कर समृद्धि का आशीर्वाद लिया जाता है।
पूजन सामग्री:-
चंदन, सिंदूर, कुमकुम, केसर, पांच यज्ञोपवीत, चावल, अबीर, गुलाल, हल्दी, सोलह श्रृंगार का सामान (चूड़ी, मेहंदी, पायल, बिछिया, काजल, बिंदी, कंघा). 5 सुपारी,5,पान के पत्ते,छोटी इलायची,लौंग,मौली या कलावा,फूलों की माला,तुलसी,दल,कमलगट्टे,साबुत धनिया,कुशा और दूर्वा,आधा मीटर सफेद कपड़ा,आधा मीटर लाल कपड़ा,दीपक,बड़े दीपक के लिए तेल,नारियल,पंच मेवा,(मखाना, किशमिश, छुहारा, बादाम, काजू आदि),गंगाजल,पंचामृत (शहद, दूध, शक्कर, दही, गंगाजल, दूध),शुद्ध घी,मौसम के हिसाब से फल (गन्ना, सिंघाड़े आदि),नैवेद्य,मिठाई,इत्र की शीशी,लकड़ी की चौकी….
पूजन विधि:-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।घर के मंदिर में साफ- सफाई करें।घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।और मां लक्ष्मी को स्थापित करें, फिर नए कपड़ों और गहनों से गणेश लक्ष्मी का श्रृंगार करें, उसके बाद फूल, सिंदूर, पान-सुपारी, इन चीजों से सजावट करें,फिर फल चढ़ाएं और मंत्र पाठ करें, इसके बाद मां लक्ष्मी को मिठाई का भोग लगाएं और उनके सामने रखे सिक्कों की भी पूजा करें, इसके साथ ही दुर्बा और गंगाजल से छीटे दें. नारियल और कलश की स्थापना करने के बाद दीपक में ज्योत लगाए और घरों के कोने कोने में दीपक रख दें, फिर आरती शुरू करें.
दिवाली के लिए मंत्र तथा उपाय:-
1.या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता, नमस्त्यै नमस्त्यै नमस्त्यै
नमों नम:।
2.आरती:-
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु
विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2d
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
3.गणेश जी की आरती:-
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…
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