शिवरात्रि

ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.तथा ईश्वर से कामना करता हूं की आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..

दोस्तों महाशिवरात्रि के विषय में तो आप सभी लोग जानते ही होंगे कि महाशिवरात्रि के समय पर भगवान शिव जी की पूजा अर्चना का क्या महत्व होता है.इस समय पर भगवान शिव जी की तथा गौरी जी की पूजा करने से मन की सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति भी होती है जीवन में सुख ऐश्वर्य धन वैभव की कभी कमी नहीं रहती है.

शिवरात्रि का समय:-

साल 2023 में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी 2023 को रात 08:02 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 19 फरवरी 2023 को 04:18 मिनट पर समाप्त होगी।

शिवरात्रि के पूजन से ग्रहों पर असर:-

वैसे तो भगवान शिव के पूजन से पूरे 9  ग्रहों की शांति हो जाती है क्योंकि भगवान शिव के पूजन से चंद्रग्रहण सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं इसलिए चंद्र ग्रह की शांति के लिए भी भगवान शिव जी की पूजन इत्यादि की जाती है तथा भगवान शिव के पूजन से शनि और राहु जैसे दुर्गम ग्रह दी शांत हो जाते हैं तथा शनि और राहु के वजह से बन रहे अशांति का योग तथा अकस्मात मृत्यु का योग भी चल जाता है तथा किसी अनावश्यक दुर्घटना से भी बचाव हो जाता है तथा मन को शांति भी मिलती है भगवान शिव जी के पूजन अर्चन से भगवान श्री हरि विष्णु जी भी प्रसन्न होते हैं इस कारण पत्रिका में बन रहे गुरु दोष का भी निवारण हो जाता है तथा भगवान शिव के पूजन से माता गौरी भी प्रसन्न हो जाती हैं इस वजह से शुक्र की स्थिति भी जन्म कुंडली में मजबूत हो जाती है तथा धन ऐश्वर्य की प्राप्ति भी होने लग जाती है.

श्रावण शिवरात्रि में पूजन सामग्री:-

पंचमेवा या पांच प्रकार के फल, रत्न, सोना चांदी, दक्षिणा, पुष्प, पूजा के बर्तन, कुश का आसन, लोंग,इलाइची,पान,सुपारी,शुद्ध देसी घी, दही, गंगाजल, शहद, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली, जनेऊ, पांच प्रकार के मिष्ठान, बेलपत्र, धतूरा, धतूरे का फूल तथा पत्तियां, भांग, बेर, जो की घास, तुलसी पत्र, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, 

कपूर, धूप, दीप,रूई,ईख गन्ने का रस, मलयागिरी चंदन, भगवान शिव तथा माता पार्वती की श्रृंगार की सामग्री तथा मूर्ति आदि.

शिवरात्रि में पूजा विधि:-

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शिव जी का स्मरण कर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आमचन कर अपने आप को शुद्ध करें। इसके बाद सफेद कपड़े धारण करें। अब सबसे पहले भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य दें। तत्पश्चात, भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध,दही और पंचामृत से करें। पूजा के दौरान शिव चालीसा का पाठ और शिव मंत्र का जाप करें। अंत में आरती अर्चना कर भगवान शिव और माता पार्वती से कामना करें। दिनभर उपवास रखें। निशिता काल में पूजा आरती के पश्चात फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।

पूजा मंत्र:-

1.ओम नमः शिवाय.

2.ॐ महादेवाय नमः

3.महामृत्युंजय मंत्र:-

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

4.श्री शिव गायत्री मंत्र:-

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।

5.क्षमा पूजा:-

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।

पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥

मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।

यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…

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