सावन माह में शिव पूजन

ऊँ नमः शिवाय।

राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं. ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे….

सावन के महीने का महत्व:-

दरअसल सावन के महीने ही मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। सावन के महीने में शिवलिंग का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। पूरे सावन महीने के दौरान हर दिन शिवजी की पूजा-उपासना करने पर सभी तरह की मनोकामना जल्दी पूरी होती हैं। 

सावन के महीने का :-

इस साल सावन का पवित्र महीना 4 जुलाई 2023, मंगलवार के दिन से शुरु हो रहा है. वहीं सावन का पहला सोमवार का व्रत 10 जुलाई 2023, को रखा जाएगा.

इस वर्ष सावन 58 दिनों का होगा यानी शिवजी की पूजा-पाठ और भक्ति के लिए सावन का महीना दो माह का होगा। 4 जुलाई से सावन का पवित्र महीना शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास रहेगा। इसी कारण से इस वर्ष सावन का महीना 2 महीने का होगा।

सावन सोमवार:-

  1. सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई
  2. सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई
  3. सावन का तीसरा सोमवार: 24 जुलाई
  4. सावन का चौथा सोमवार: 31 जुलाई
  5. सावन का पांचवा सोमवार: 07 अगस्त
  6. सावन का छठा सोमवार:14 अगस्त
  7. सावन का सातवां सोमवार: 21 अगस्त
  8. सावन का आठवां सोमवार: 28 अगस्त

सावन के महीने के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त:-

  1. ब्रह्म मुहूर्त- 04:07 AM – 04:48 AM
  2. अभिजित मुहूर्त- 11:58 AM – 12:53 PM
  3. गोधूलि मुहूर्त- 07:22 PM-  07:42 PM
  4. शिव पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त – शाम 05.29 – रात 08.3
  5. सावन 20223 पहले दिन के शुभ योग
  6. सावन के पहले दिन 4 जुलाई को त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, बुधादित्य योग, सनुफा योग और वाशी योग जैसे शुभ योगों का संयोग बन रहा है. इससे पहले ऐसा संयोग साल 2004 में बना था और अब 2023 में भी ऐसा ही संयोग बना है.
  7. इंद्र योग – 03 जुलाई 2023, दोपहर 03.45 – 04 जुलाई 2023, सुबह 11.50
  8. त्रिपुष्कर योग – 04 जुलाई 2023, दोपहर 01.38 – 05 जुलाई 2023, सुबह 05.28

पूजा  सामग्री:-

एक लोटा जल. सफेद चंदन. दूध. दही. मिष्ठान. बेलपत्र. धतूरे का फूल. धतूरा. अक्षत.  इत्यादि.

पूजा विधि:-

सुबह  सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म इत्यादि करने के तत्पश्चात नहा धोकर अच्छे से स्वक्ष कपड़े पहन कर आप अपने घर के मंदिर में भगवान शिव जी की मूर्ति की स्थापना करें तथा श्री गणेश मंत्र का सर्वप्रथम जाप करें .पश्चात आप उनके समक्ष अगरबत्ती जलाएं या धूप बत्ती जला दें तथा उनको सफेद चंदन लगाकर दूध दही मिष्ठान बेल पत्र तथा धतूरे का फूल तथा धतूरा और अक्षत समर्पित करें. तत्पश्चात आप मंदिर में जाकर शिवलिंग पर एक लोटा जल में थोड़ा सफेद चंदन डालकर दूध दही इत्यादि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं तत्पश्चात बेल पत्र तथा धतूरे का फूल इत्यादि भी चढ़ा दे.

पूजा का  मंत्र:-

1.ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः 

इस मंत्र को रुद्र मंत्र (Rudra Mantra) कहते हैं. माना जाता है कि ये मंत्र शिव जी तक आपकी सभी मनोकामनाएं पहुंचाता है. 

2.ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

यह महामृत्युंजय जाप है जिसका अर्थ है कि हम त्रिनेत्र को पूजते हैं जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं. जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं. 

3.ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि 

तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्! 

यह शिव गायत्री मंत्र (Shiv Gayatri Mantra) है जिसे सर्वशक्तिशाली माना जाता है. इसे व्यक्ति को सुख और शांति की प्राप्ति होती है. 

4.करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं ।

विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥ 

कहा जाता है कि महादेव से अपने कर्मों की क्षमाप्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है. माना जाता है कि भक्त के यत्न देखकर महादेव प्रसन्न होते हैं.

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..

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