ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं. ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों (Surya) सूर्य को ग्रहों का राजा तो कहते ही है तथा सूर्य का परिवर्तन किसी भी राशि में होता है तो उसे उस राशि का संक्रांति भी कहा जाता है तथा हर एक राशि के सक्रांति का अपना ही महत्व होता है जैसे कि इस बार सूर्यअपनी राशि में राशि परिवर्तन करने जा रहा है तथा सूर्य का सिंह राशि में परिवर्तन करना सिंह संक्रांति भी कह सकते हैं तथा इस सक्रांति का भी अपना एक अलग ही महत्व है इस बार सूर्य का राशि परिवर्तन शुभ और अशुभ दोनों ही परिणाम ले कर के आ रहा है आइए जानते हैं किस राशि पर शुभ और किस राशि पर शुभ प्रभाव पड़ेगा.
सूर्य के गोचर का समय:-
सूर्य इस महीने 17 अगस्त 2021 को रात 01 बजकर 05 मिनट पर सिंह राशि में गोचर करेंगे.तथा 17 सितंबर 2021 तक सिंह राशि में गोचर करेंगे.
सिंह सक्रांति का महत्व:-
सिंह का क्रांति का महत्व वैसे भी बहुत ही खास माना जाता है जो कि इस दिन सूर्य देवता की आराधना करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है तथा रोग से मुक्ति मिलती है और जिंदगी में आ रहे सभी कठिनाइयों से निजात मिल जाती है तथा समाज में मान सम्मान और प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है तथा आय के नए साधन प्राप्त होती है तथा उन्नति की सभी रास्ते खुल जाते हैं
सूर्य के गोचर का हमारी जिंदगी पर प्रभाव:-
1.सूर्य का परिवर्तन व्यावसायिक वर्ग के लोगों के लिए थोड़ा उतार-चढ़ाव कह सकते हैं पर मुनाफे का समय भी पूरी तरीके से कहा जा सकता है.
2. सूर्य का परिवर्तन जातक के पर्सनल लाइफ पर भी थोड़ा उतार चढ़ाव लेकर के तो आ सकता है परंतु यदि अगर अपने निजी जिंदगी पर ध्यान दिया जाए तो समय अच्छे से भी निकल सकता है.
3. सूर्य का परिवर्तन इस बार छात्राओं के लिए एक अच्छा अवसर लेकर के आ रहा है मेहनत करने वाले विद्यार्थियों को मेहनत का पूरा फल मिल सकता है,
4. सूर्य का परिवर्तन जातक के पारिवारिक जीवन के लिए भी समय अनुकूल बना सकता है तथा कोई भी निर्णय जो परिवार से संबंधित हो सोच समझकर के लिए तो ज्यादा बेहतर है.
5.इस बार सूर्य का गोचर धन संबंधित मामलों के लिए भी ठीक-ठाक रहेगा आर्थिक स्थिति के लिए सूर्य का परिवर्तन लोगों के आमदनी में एक अच्छा प्रभाव लेकर के आएगा सिर्फ फिजूलखर्ची से बचें.
सूर्य परिवर्तन का 12 राशियों पर प्रभाव:-
मेष राशि:-
आपके महत्वाकांक्षाओं में बढ़ौतरी के साथ ही आपका आत्मविश्वास भी लौटने की संभावना है। आर्थिक मामले में ये समय खास रहेगा। इस समय नौकरी पेशा व व्यवसायी दोनों की आय में वृद्धि संभव है। इस दौरान आपमें उत्साह गजब का रहेगा.परंतु पेट से जुड़ी कुछ परेशानी हो सकती है।
वृष राशि:-
इस समय आपके आर्थिक पक्ष मजबूत रहने के साथ ही आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना होगी। अपने कार्यक्षेत्र में सफलता के बीच शिक्षा क्षेत्र से जुड़े जातकों के लिए ये समय विशेष रहेगा। इस दौरान आपके मान व पद में वृद्धि की भी हो सकती है।तथा परिजनों के साथ समय बिताने के अलावा इस समय वैवाहिक जीवन भी सुख से भरा रहेगा। ज्यादातर समय आप जीवन साथी के साथ समय बिताने की कोशिश करें.
मिथुन राशि:-
आपके नौकरी व व्यापार में तरक्की के योग के साथ ही इस समय किया निवेश भी फायदेमंद रहने की उम्मीद है। वहीं धन लाभ की संभावना के बीच आर्थिक पक्ष में इस समय मजबूती भी देखने को मिलेगी।यह समय लेनदेन के लिए शुभ रहेगा सेहत को लेकर सतर्क रहना होगा।हड्डियों से संबंधित प्रॉब्लम हो सकती है.
कर्क राशि:-
यह समय आपकी वाणी में परिवर्तन लाता दिख रहा है, जिसके चलते आपकी वाणी में कुछ ज्यादा ही स्पष्टता भी देखने को मिलेगी।तथा अपने वाणी पर आपको थोड़ा विराम लगाने की जरूरत है वरना आपके बनते बनाए काम बिगड़ सकते हैं इसलिए सोच समझकर के ही कुछ भी बोले.तथा घरेलु व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए ये समय खास रहेगा।इस समय आपकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर होती दिख रही है।तथा नौकरी पेशा लोगों के लिए पदोन्नति का समय अभी बन रहा है.
सिंह राशि:-
इस समय आप संतुष्ट व खुश तो रहेंगे, लेकिन सेहत के प्रति आपको सतर्क रहना होगा। इस दौरान आत्मविश्वास में वृद्धि के चलते आपमें से कुछ में अहंकार का भी भाव आ सकता है।वैवाहिक जीवन में इस दौरान कुछ दिक्कतें हो सकतीं है, जिसके चलते जीवनसाथी से मतभेद होने की आशंका है।व्यवसाइयों के लिए ये समय विशेष रहने की उम्मीद है। आपके व्यवसाय क्षेत्र में प्रगति के योग बन रहे हैं तथा आपकी आर्थिक स्थिति में भी बढ़ोतरी के योग बन रहे हैं आमदनी के नए स्रोत भी आपको मिलेंगे.
कन्या राशि:-
इस समय कार्यक्षेत्र के उच्च अधिकारियों के साथ संबंध सुधरने के साथ ही आपके मान, पद आदि में वृद्धि होने की संभावना है.इसके अलावा इस दौराान विदेशों से धन- लाभ के चलते आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। नौकरी और व्यापार अच्छा चलने के साथ ही घर परिवार में भी पूरा समय दे सकेंगे। प्रेम प्रसंग में भी आपको सफलता प्राप्त होने के योग बन रहे हैं.
तुला राशि:-
इस समय आपके काम की हर ओर तारीफ होने के साथ ही आपकी आय में भी बढ़ौतरी के संकेत हैं। जिससे जीवन में खुशियां तो मिलेंगी ही आगे बढ़ने का रास्ता भी साफ होगा।वैवाहिक जीवन में सुख के साथ ही इस समय आपको पदोन्नति भी मिल सकती है। नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को इस दौरान रोजगार मिलने की संभावना है। कहीं फंसे हुए धन भी अचानक आपको प्राप्त हो सकती है तथा आप की आरती की स्थिति भी मजबूत होगी.
वृश्चिक राशि:-
यह समय आपके लिए अनुकूल रहने वाला है तथा अचानक कुछ नए स्त्रोत आपकी आय में इजाफा कर सकते हैं।आपके साहस में वृद्धि करेगा, वहीं इस समय आप अपनी आलोचना को आत्मसम्मान पर ठेस तक मान लेंगे। इस समय आप कार्यक्षेत्र में हर किसी का भरोसा जीत लेंगे। तथा शत्रु भी आपका कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे तथा आपको कार्यालय में पदोन्नति मिलने की संभावना है। नौकरी पेशा लोगों के लिए भी पदोन्नति का समय चल रहा है तथा आपकी आर्थिक की स्थिति में भी बढ़ोतरी की संभावना बन रही है
धनु राशि:-
इस समय आपको आपके भाग्य का पूरा सहयोग प्राप्त होगा तथा इसके अलावा साहस में वृद्धि के चलते इस समय आप अति स्पष्टवादी हो सकते हैं। उचित होगा इस समय अपने शब्दों का सही चयन सोच समझकर करें। विदेश जाने के शौकीन लोगों के लिए ये समय नई यात्रा ला सकता है। यह समय छात्रों के लिए भी अच्छा रहता दिख रहा है। किसी प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए भी समय अनुकूल रहेगा तथा सफलता का समय चल रहा है आपको उन्नति मिल सकती है.
मकर राशि:-
यह समय आपके लिए सामान्य रहने वाला है इस समय आपको ख़र्चों के प्रति, सावधान रहने की ज्यादा आवश्यकता होगी। इस दौरान आप कुछ विरोधियों पर आक्रमक भी हो सकते हैं,आत्मविश्वास में वृद्धि के चलते इस समय आप अच्छे लीडर बनकर उभर सकते हैं। कुल मिलाकर ये समय आपके लिए सफलतादायक रहेगा। इस दौरान आर्थिक स्थिति भी ठीक रहेगी, लेकिन आपको उंचाई और सड़क पर चलते समय खास सावधान रहने के अलावा तनाव नहीं लेना है आपके पीठ पीछे षड्यंत्र रचा जा सकता है इसलिए आपको अपने कार्य क्षेत्र में थोड़ा सावधान रहने की आवश्यकता पड़ेगी.
कुंभ राशि:-
मैं आपके पारिवारिक जीवन के लिए थोड़ा उतार-चढ़ाव भरा रहेगा जीवनसाथी के साथ अहम के टकराव के चलते विचारों में मतभेद बढ़ेंगे। इस समय आपको शांत रहते हुए जीवनसाथी के साथ हर ग़लतफहमी को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।वहीं नौकरीपेशा लोगों को इस समय अपने कार्यस्थल पर बॉस से सराहना मिलेगी। वहीं व्यवसायी भी इस समय लाभ प्राप्त कर सकते हैं। सेहत का खास ध्यान रखना होगा।तथा पेट से संबंधित परेशानी हो सकती है इसलिए आपको थोड़ा सतर्क रहने की आवश्यकता पड़ेगी.
मीन राशि:-
यह समय आपके लिए सामान्य से ज्यादा अनुकूल रहेगा तथा आप अपने दुश्मनों को परास्त कर सकेंगे, जिसके चलते विरोधी अनेक प्रयासों के बाद भी आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे।इसके अलावा इस समय आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होगी और आप शारीरिक रूप स्वस्थ रह पाएंगे। लेकिन खानपान पर विशेष ध्यान रखना होगा।निवेश के लिए भी समय अनुकूल है आपको अपने खर्चों के ऊपर थोड़ा नियंत्रण करना होगा फिजूलखर्ची के योग बन रहे हैं.
सूर्य मंत्र तथा उपाय:-
1. ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।
5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।
6. ॐ सूर्याय नम: ।
7. ॐ घृणि सूर्याय नम: ।
8.सूर्य सुक्तम पाठ:-
॥ श्री सूक्त ॥
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥1॥
अर्थ – हे सर्वज्ञ अग्निदेव ! सुवर्ण के रंगवाली, सोने और चाँदी के हार पहनने वाली, चन्द्रमा के समान प्रसन्नकांति, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी को मेरे लिये आवाहन करो।
तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥2॥
अर्थ – अग्ने ! उन लक्ष्मीदेवी को, जिनका कभी विनाश नहीं होता तथा जिनके आगमन से मैं सोना, गौ, घोड़े तथा पुत्रादि को प्राप्त करूँगा, मेरे लिये आवाहन करो।
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम्।
श्रियं देवीमुप ह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ॥3॥
अर्थ – जिन देवी के आगे घोड़े तथा उनके पीछे रथ रहते हैं तथा जो हस्तिनाद को सुनकर प्रमुदित होती हैं, उन्हीं श्रीदेवी का मैं आवाहन करता हूँ; लक्ष्मीदेवी मुझे प्राप्त हों।
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां
ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां
तामिहोप ह्वये श्रियम् ॥4॥
अर्थ – जो साक्षात ब्रह्मरूपा, मंद-मंद मुसकराने वाली, सोने के आवरण से आवृत, दयार्द्र, तेजोमयी, पूर्णकामा, अपने भक्तों पर अनुग्रह करनेवाली, कमल के आसन पर विराजमान तथा पद्मवर्णा हैं, उन लक्ष्मीदेवी का मैं यहाँ आवाहन करता हूँ।
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं
श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्।
तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये
अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ॥5॥
अर्थ – मैं चन्द्रमा के समान शुभ्र कान्तिवाली, सुन्दर द्युतिशालिनी, यश से दीप्तिमती, स्वर्गलोक में देवगणों के द्वारा पूजिता, उदारशीला, पद्महस्ता लक्ष्मीदेवी की शरण ग्रहण करता हूँ। मेरा दारिद्र्य दूर हो जाय। मैं आपको शरण्य के रूप में वरण करता हूँ।
आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो
वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु
या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥6॥
अर्थ – हे सूर्य के समान प्रकाशस्वरूपे ! तुम्हारे ही तप से वृक्षों में श्रेष्ठ मंगलमय बिल्ववृक्ष उत्पन्न हुआ। उसके फल हमारे बाहरी और भीतरी दारिद्र्य को दूर करें।
उपैतु मां देवसखः
कीर्तिश्च मणिना सह।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्
कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ॥7॥
अर्थ – देवि ! देवसखा कुबेर और उनके मित्र मणिभद्र तथा दक्ष प्रजापति की कन्या कीर्ति मुझे प्राप्त हों अर्थात मुझे धन और यश की प्राप्ति हो। मैं इस राष्ट्र में उत्पन्न हुआ हूँ, मुझे कीर्ति और ऋद्धि प्रदान करें।
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद मे गृहात् ॥8॥
अर्थ – लक्ष्मी की ज्येष्ठ बहिन अलक्ष्मी (दरिद्रता की अधिष्ठात्री देवी) का, जो क्षुधा और पिपासा से मलिन और क्षीणकाय रहती हैं, मैं नाश चाहता हूँ। देवि ! मेरे घर से सब प्रकार के दारिद्र्य और अमंगल को दूर करो।
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्।
ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोप ह्वये श्रियम् ॥9॥
अर्थ – जो दुराधर्षा और नित्यपुष्टा हैं तथा गोबर से (पशुओं से) युक्त गन्धगुणवती हैं। पृथ्वी ही जिनका स्वरुप है, सब भूतों की स्वामिनी उन लक्ष्मीदेवी का मैं यहाँ अपने घर में आवाहन करता हूँ।
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ॥10॥
अर्थ – मन की कामनाओं और संकल्प की सिद्धि एवं वाणी की सत्यता मुझे प्राप्त हो। गौ आदि पशु एवं विभिन्न प्रकार के अन्न भोग्य पदार्थों के रूप में तथा यश के रूप में श्रीदेवी हमारे यहाँ आगमन करें।
कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ॥11॥
अर्थ – लक्ष्मी के पुत्र कर्दम की हम संतान हैं। कर्दम ऋषि ! आप हमारे यहाँ उत्पन्न हों तथा पद्मों की माला धारण करनेवाली माता लक्ष्मीदेवी को हमारे कुल में स्थापित करें।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ॥12॥
अर्थ – जल स्निग्ध पदार्थों की सृष्टि करे। लक्ष्मीपुत्र चिक्लीत ! आप भी मेरे घर में वास करें और माता लक्ष्मीदेवी का मेरे कुल में निवास करायें।
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥13॥
अर्थ – अग्ने ! आर्द्रस्वभावा, कमलहस्ता, पुष्टिरूपा, पीतवर्णा, पद्मों की माला धारण करनेवाली, चन्द्रमा के समान शुभ्र कान्ति से युक्त, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी का मेरे यहाँ आवाहन करें।
आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥14॥
अर्थ – अग्ने ! जो दुष्टों का निग्रह करनेवाली होने पर भी कोमल स्वभाव की हैं, जो मंगलदायिनी, अवलम्बन प्रदान करनेवाली यष्टिरूपा, सुन्दर वर्णवाली, सुवर्णमालाधारिणी, सूर्यस्वरूपा तथा हिरण्यमयी हैं, उन लक्ष्मीदेवी का मेरे लिये आवाहन करें।
तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ॥15॥
अर्थ – अग्ने ! कभी नष्ट न होनेवाली उन लक्ष्मीदेवी का मेरे लिये आवाहन करें, जिनके आगमन से बहुत-सा धन, गौएँ, दासियाँ, अश्व और पुत्रादि को हम प्राप्त करें।
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्।
सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ॥16॥
अर्थ – जिसे लक्ष्मी की कामना हो, वह प्रतिदिन पवित्र और संयमशील होकर अग्नि में घी की आहुतियाँ दे तथा इन पंद्रह ऋचाओं वाले श्री सूक्त का निरन्तर पाठ करे।
पद्मानने पद्मविपद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि।
विश्वप्रिये विष्णुमनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सं नि धत्स्व ॥17॥
अर्थ – कमल के समान मुखवाली ! कमलदल पर अपने चरणकमल रखनेवाली ! कमल में प्रीति रखनेवाली ! कमलदल के समान विशाल नेत्रोंवाली ! समग्र संसार के लिये प्रिय ! भगवान विष्णु के मन के अनुकूल आचरण करनेवाली ! आप अपने चरणकमल को मेरे हृदय में स्थापित करें।
पद्मानने पद्मऊरु पद्माक्षि पद्मसम्भवे।
तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम् ॥18॥
अर्थ – कमल के समान मुखमण्डल वाली ! कमल के समान ऊरुप्रदेश वाली ! कमल के समान नेत्रोंवाली ! कमल से आविर्भूत होनेवाली ! पद्माक्षि ! आप उसी प्रकार मेरा पालन करें, जिससे मुझे सुख प्राप्त हो।
अश्वदायि गोदायि धनदायि महाधने।
धनं मे जुषतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे ॥19॥
अर्थ – अश्वदायिनी, गोदायिनी, धनदायिनी, महाधनस्वरूपिणी हे देवि ! मेरे पास सदा धन रहे, आप मुझे सभी अभिलषित वस्तुएँ प्रदान करें।
पुत्रपौत्रधनं धान्यं हस्त्यश्वाश्वतरी रथम्।
प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे ॥20॥
अर्थ – आप प्राणियों की माता हैं। मेरे पुत्र, पौत्र, धन, धान्य, हाथी, घोड़े, खच्चर तथा रथ को दीर्घ आयु से सम्पन्न करें।
धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः।
धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणो धनमश्विना ॥21॥
अर्थ – अग्नि, वायु, सूर्य, वसुगण, इन्द्र, बृहस्पति, वरुण तथा अश्विनी कुमार – ये सब वैभवस्वरुप हैं।
वैनतेय सोमं पिब सोमं पिबतु वृत्रहा।
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः ॥22॥
अर्थ – हे गरुड ! आप सोमपान करें। वृत्रासुर के विनाशक इन्द्र सोमपान करें। वे गरुड तथा इन्द्र धनवान सोमपान करने की इच्छा वाले के सोम को मुझ सोमपान की अभिलाषा वाले को प्रदान करें।
न क्रोधो न च मात्सर्यं न लोभो नाशुभा मतिः।
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्त्या श्रीसूक्तजापिनाम् ॥23॥
अर्थ – भक्तिपूर्वक श्री सूक्त का जप करनेवाले, पुण्यशाली लोगों को न क्रोध होता है, न ईर्ष्या होती है, न लोभ ग्रसित कर सकता है और न उनकी बुद्धि दूषित ही होती है।
सरसिजनिलये सरोजहस्ते
धवलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे
त्रिभुवनभूतिकरि प्र सीद मह्यम् ॥24॥
अर्थ – कमलवासिनी, हाथ में कमल धारण करनेवाली, अत्यन्त धवल वस्त्र, गन्धानुलेप तथा पुष्पहार से सुशोभित होनेवाली, भगवान विष्णु की प्रिया लावण्यमयी तथा त्रिलोकी को ऐश्वर्य प्रदान करनेवाली हे भगवति ! मुझपर प्रसन्न होइये।
विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम्।
लक्ष्मीं प्रियसखीं भूमिं नमाम्यच्युतवल्लभाम् ॥25॥
अर्थ – भगवान विष्णु की भार्या, क्षमास्वरूपिणी, माधवी, माधवप्रिया, प्रियसखी, अच्युतवल्लभा, भूदेवी भगवती लक्ष्मी को मैं नमस्कार करता हूँ।
महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॥26॥
अर्थ – हम विष्णु पत्नी महालक्ष्मी को जानते हैं तथा उनका ध्यान करते हैं। वे लक्ष्मीजी सन्मार्ग पर चलने के लिये हमें प्रेरणा प्रदान करें।
आनन्दः कर्दमः श्रीदश्चिक्लीत इति विश्रुताः।
ऋषयः श्रियः पुत्राश्च श्रीर्देवीर्देवता मताः ॥27॥
अर्थ – पूर्व कल्प में जो आनन्द, कर्दम, श्रीद और चिक्लीत नामक विख्यात चार ऋषि हुए थे। उसी नाम से दूसरे कल्प में भी वे ही सब लक्ष्मी के पुत्र हुए। बाद में उन्हीं पुत्रों से महालक्ष्मी अति प्रकाशमान शरीर वाली हुईं, उन्हीं महालक्ष्मी से देवता भी अनुगृहीत हुए।
ऋणरोगादिदारिद्र्यपापक्षुदपमृत्यवः।
भयशोकमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा ॥28॥
अर्थ – ऋण, रोग, दरिद्रता, पाप, क्षुधा, अपमृत्यु, भय, शोक तथा मानसिक ताप आदि – ये सभी मेरी बाधाएँ सदा के लिये नष्ट हो जाएँ।
श्रीर्वर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाविधाच्छोभमानं महीयते।
धनं धान्यं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसंवत्सरं दीर्घमायुः ॥29॥
अर्थ – भगवती महालक्ष्मी मानव के लिये ओज, आयुष्य, आरोग्य, धन-धान्य, पशु, अनेक पुत्रों की प्राप्ति तथा सौ वर्ष के दीर्घ जीवन का विधान करें और मानव इनसे मण्डित होकर प्रतिष्ठा प्राप्त करे।
॥ ऋग्वेद वर्णित श्री सूक्त सम्पूर्ण ॥
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…
NOTE:- हमारे विद्वान आचार्य से संपर्क करने के लिए Contact Care No:-91-8384030394