ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों आज मैं श्री कृष्ण के जन्म दिवस अर्थात जन्माष्टमी के विषय में आप सभी लोगों से वर्णन करने जा रहा हूं हिंदू धर्म के पुराणों में कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व बताया गया है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण बाल रूप की लड्डू गोपाल की पूजा- अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत भी रखा जाता है। तथा इस दिन भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा अर्चना तथा व्रत रखने से सभी प्रकार से मनोकामनाओ की पूर्ति होती है तथा घर में सुख समृद्धि का वास होता है तथा धन ऐश्वर्य की भी प्राप्ति होती है.
जन्माष्टमी के दिन पूजा का समय:-
श्री कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद के महीने के अष्टमी के दिन मनाया जाता है जो कि 29 अगस्त 2021 रविवार रात्रि 11:29 से 30 अगस्त 2021 के देर रात्रि 1:59 तक रहेगा.
क्योंकि श्री कृष्ण जी का जन्म रात्रि में हुआ था इसलिए इनके पूजा का मुहूर्त ही रात्रि का ही होता है जो कि 30 अगस्त 2021 के रात्रि 11:59 से 12:44 तक रहेगा.
व्रत पारण का समय 31 अगस्त 2021 के सुबह 9:44 के बाद रहेगा.
जन्माष्टमी का महत्व:-
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व होता है।
- इस दिन विधि- विधान भगवान श्री कृष्ण की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
- इस दिन पूजा- अर्चना करने से निसंतान दंपतियों को भी संतान की प्राप्ति हो जाती है।
- इस दिन भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा अर्चना करने से धन ऐश्वर्य की भी प्राप्ति होती है तथा आर्थिक हालात भी मजबूत हो जाते हैं.
- इस दिन भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा अर्चना करने से घर से दरिद्रता भी दूर हो जाती है I
- इस दिन पूजा अर्चना करने से घर के ऊपर नकारात्मक ऊर्जा का यदि वास हो तो वह भी खत्म हो जाता है तथा सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है I
- इस दिन पूजा अर्चना करने से यदि अगर जन्म कुंडली में गुरु की स्थिति खराब हो तो वह भी ठीक हो जाती है तथा भाग्य में वृद्धि हो जाती है I
पूजा की सामग्री:-
लड्डू गोपाल की मूर्ति, झूला, मक्खन, मिश्री, लड्डू गोपाल को पहनाने वाले वस्त्र,फल,मिठाई इत्यादि.
पूजा की विधि:-
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में साफ- सफाई करें।घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें।इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है।लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें।इस दिन लड्डू गोपाल को झूले में बैठाएं।लड्डू गोपाल को झूला झूलाएं।अपनी इच्छानुसार लड्डू गोपाल को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करें।इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था।रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा- अर्चना करें।लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं।लड्डू गोपाल की आरती करे इस दिन अधिक से अधिक लड्डू गोपाल का ध्यान रखें।इस दिन लड्डू गोपाल की अधिक से अधिक सेवा करें।तथा लड्डू गोपाल को माखन मिश्री तथा फल और मिष्ठान इत्यादि चढ़ाएं तथा प्रसाद के रूप में सभी लोगों को बाटे तथा खुद भी खाएं.
मंत्र तथा उपाय:-
1.संपूर्ण मंत्र विनियोग-
अस्य गोपाल मंत्रस्य, नारद ऋषि:, अनुष्टुप छंद:, कृष्णो देवता, मम पुत्र कामनार्थ जपे विनियोग:
ध्यान- विजयेन युतो रथस्थित: प्रसभानीय समुद्र मध्यत: । प्रददत्त नयान् द्विजन्मने स्मरणीयो वसुदेव नंदन: ।।
2.संतान गोपाल मंत्र:-
ऊं देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ।।
3.कृष्ण स्तुति:-
श्री कृष्ण चन्द्र कृपालु भजमन, नन्द नन्दन सुन्दरम्।
अशरण शरण भव भय हरण, आनन्द घन राधा वरम्॥
सिर मोर मुकुट विचित्र मणिमय, मकर कुण्डल धारिणम्।
मुख चन्द्र द्विति नख चन्द्र द्विति, पुष्पित निकुंजविहारिणम्॥
मुस्कान मुनि मन मोहिनी, चितवन चपल वपु नटवरम्।
वन माल ललित कपोल मृदु, अधरन मधुर मुरली धरम…
वृषुभान नंदिनी वामदिशि, शोभित सुभग सिहासनम्।
ललितादि सखी जिन सेवहि, करि चवर छत्र उपासनम्॥
॥ हरि: ॐ तत् सत् ॥
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…
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