Aja ekadashi

Aja

ऊँ नमः शिवाय।

राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..

दोस्तों हमारे हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार पुराणों में और मान्यताओं में एकादशी का बहुत ज्यादा महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि- विधान और श्रद्धा भाव के साथ पूजा अर्चना की जाती है. भादों में कृष्ण पक्ष की एकादशी पर व्रत रखने का विशेष महत्व माना गया है. इस एकादशी को लोग अजा एकादशी के नाम से जानते हैं. मान्यताओं के अनुसार, अजा एकादशी व्रत सभी तरह के पापों को नष्ट करने वाला और विशेष पुण्य फल देने वाला होता है, इस व्रत को करने वाले व्यक्ति सभी सुखों को भोगकर अंत में विष्णु लोक को प्राप्त करता है तथा अजा एकादशी के दिन व्रत रखने से माता लक्ष्मी जी की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा सभी प्रकार के दोष मिट जाते हैं धन ऐश्वर्य की भी प्राप्ति होती है तथा भगवान विष्णु जी के विशेष कृपा की भी प्राप्ति होती है.

अजा एकादशी का महत्व:-

अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी की पूजा अर्चना की जाती है तथा उसका महत्व तो यह है कि इस दिन व्रत रखने वाली लोगों को पुण्य की प्राप्ति होती है तथा उनके सभी प्रकार के पाप  खत्म हो जाते हैं तथा धन ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

अजा एकादशी के व्रत का समय:- 

अजा एकादशी इस बार 2 सितंबर 2021 के प्रातः 6:21पर प्रारंभ होगी तथा 3 सितंबर 2021 को प्रातः 7:44 तक रहेगा. परंतु उदया तिथि के अनुसार एकादशी का व्रत 3 सितंबर 2021 को ही रखा जाएगा.

व्रत की सामग्री:-

भगवान श्री हरि विष्णु जी की प्रतिमा के साथ माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा या मूर्ति,गंगाजल, पीले वस्त्र ,पीले पुष्प, पीला चंदन,फल, तुलसी पत्र इत्यादि…

अजा एकादशी के पूजा की विधि:-

एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म इत्यादि तथा स्नान कर लें. घर के मंदिर में पूजा पाठ और दीप प्रज्वलित करें. इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा का गंगा जल से अभिषेक करें. उन्हें सुंदर पीले वस्त्र पहनाएं और चंदन लगाएं. इसके बाद पुष्प और तुलसी अर्पित करें फिर इसके बाद भगवान विष्णु जी की आरती करें.तथा भगवान विष्णु जी तथा माता लक्ष्मी जी को चढ़ाया गया भोग इत्यादि प्रसाद के रूप में लोगों को बांट दें तथा खुद भी खाएं.

भगवान विष्णु की आरती:-

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥

विष्णु भगवान के मंत्र :-

1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

2. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।

हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

3. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

4. ॐ विष्णवे नम:

5. ॐ हूं विष्णवे नम:

6. ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।

7. लक्ष्मी विनायक मंत्र –

दन्ताभये चक्र दरो दधानं,

कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया

लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

8. धन-वैभव एवं संपन्नता का मंत्र –

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…

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