ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों आज मैं आप को देव शिल्पकार विश्वकर्मा जी के पूजन के विषय में बताने जा रहा हूं यह भगवान विश्वकर्मा जी की पूजन विधि हर साल कन्या संक्रांति के दिन ही मनाई जाती है जिस दिन भगवान सूर्य राशि परिवर्तन करके कन्या राशि में गोचर करते हैं.क्योंकि भगवान विश्वकर्मा जी को विश्व का या फिर यूं कह लीजिए संपूर्ण विश्व का पहला शिल्पकार कहा जाता है जिसे आम भाषा में आज के समय में इंजीनियर कहा जाता हैमान्यता यह भी है कि जब सृष्टि के संरचना ब्रह्मदेव कर रहे थे तो विश्वकर्मा जी ने भी ब्रह्मदेव की सहायता की थी तथा इस दिन लोग अपने घर की मशीनों की साफ सफाई कर पूजा करते हैं तथा फैक्ट्रियों में लगी हुई मशीनों की तथा वाहनों की पूजा की जाती है.
विश्वकर्मा जीके पूजन का महत्व:-
इस दिन भगवान विश्वकर्मा जी की पूजन करने से तथा घर की मशीनों की तथा फैक्ट्री में लगी मशीनों की पूजा अर्चना इत्यादि करने से उनकी अधिकतम आयु बढ़ जाती है तात्पर्य यह है कि इन मशीनों की आयु बढ़ जाती है तथा इनकी कार्यप्रणाली भी तेज हो जाती है तथा यदि अगर किसी मनुष्य की फैक्ट्री इत्यादि होती है जिसमें मशीनों से संबंधित काम होता हो तो इस दिन पूजा-अर्चना करने से उनके कार्यक्षेत्र में भी वृद्धि होती है तथा उद्योग जगत में भी वृद्धि आने लग जाती है
पूजन का शुभ समय:-
यह समय भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन 17 सितंबर 2021 के सुबह 6:07 पर आरंभ हो जाएगा तथा 18 सितंबर 2021 के 3:36 तक यह पूजन का समय रहेगा तथा इस बीच में राहु काल भी पड़ रहा है ..जो कि 17 सितंबर 2021 की सुबह 10:30 बजे से 12:00 बजे तक रहेगा तो यह समय पूजा के लिए आप वर्जित कर दें बाकी समय पूजा के लिए शुभ रहेगा.
पूजा के लिए सामग्री:-
भगवान श्री विश्वकर्मा जी की मूर्ति या प्रतिमा, लोहे की कुछ मशीनें, चावल से भरा पात्र, फल, पुष्प, दीपक, इत्यादि…
पूजा विधि:-
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्य कर्म करने के तत्पश्चात स्वच्छ कपड़े आप धारण कर ले तथा मंदिर की सफाई इत्यादि भी कर ले तत्पश्चात आप मंदिर में भगवान श्री विश्वकर्मा जी की मूर्ति या उनकी प्रतिमा को स्थापित करें तथा वरुण देव जी की भी आवाहन करते रहे और विश्वकर्मा जी के भी मंत्रों का जाप करते रहे तथा उनके सामने चावल से भरा पात्र रख दें तत्पश्चात उनको पहले लाल पुष्प की माला अर्पित करें तथा धूप दीप इत्यादि जलाएं और उनकी पूजा-अर्चना करें तत्पश्चात आप उनकी आरती करें तथा लोहे की औजारों पर भी आप धूप दीप दिखाएं तथा उन चारों पर आप टीका इत्यादि भी जरूर लगाएं तत्पश्चात उनको चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में लोगों को बांट दे..
विश्वकर्मा जी के पूजन का मंत्र तथा आरती:-
1.विश्वकर्मा जयंती मंत्र
ओम पृथिव्यै नमः ओम अनंतम नमः ओम कूमयि नमः ओम श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः
2.विश्वकर्मा पूजा मंत्र…
पूजा के समय इन मंत्रों का करें उच्चारण: ।। ऊँ आधार शक्तपे नम: ।। ।। ऊँ कूमयि नम: ।। ।। ऊँ अनन्तम नम: ।। ।। ऊँ पृथिव्यै नम: ।। ।। ऊँ मंत्र का जप करे । जप के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।
3.विश्वकर्मा भगवान की आरती…
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥1॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥2॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥3॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥4॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥5॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥6॥
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥7॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥8॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा॥
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…
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