ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों आज मैं आपको अपने इस ब्लॉग में स्वस्थ जीवन के विषय में कुछ मंत्र तथा उपाय बताने जा रहा हूं.
पहला सुख जब सुन्दर काया अर्थात शरीर के स्वस्थ्य होने पर ही प्रथम सुख की अनुभूति होती है। शारीरिक सुख से बड़ा दुनिया में कोई सुख नहीं है। एक कहावत है कि जैसा खाओगे अन्न, वैसा रहेगा मन और जैसा रहेगा मन, वैसा रहेगा तन। अतः स्वस्थ्य शरीर के लिए पौष्टिक भोजन आवश्यक है। अगर व्यक्ति शरीर से कमजोर है या रोग से पीड़ित है तो हम आपको बताते है कुछ ऐसे उपाय जिन्हें करने से रोग शीघ्र ठीक हो सकता है।
स्वस्थ जीवन के लिए मंत्र तथा उपाय:-
1.यदि परिवार में कोई सदस्य भयंकर रोग से पीड़ित हो और दवाओं से कोई लाभ न मिल पा रहा हो तो चाॅदी के पात्र में केशर युक्त जल भरकर सिरहाने रखें। सुबह पीपल या तुलसी में चढ़ा देने से रोग के ठीक होने की संभावना है बढ़ जाती है.
2.अगर रोग गंभीर और लम्बा हो तो रोगी के वनज के बराबर सभी खाद्य सामग्री घी, तेल सहित तौलकर ब्रहाम्ण या किसी गरीब गृहस्थ को दें दे। तुलादान करने से बीमारी दूर होकर रोगी को जीवनदान मिलता है
3.एक तांबे का सिक्का रात को सिरहाने रखकर सो जाएं। प्रातःकाल इसे शमशान की सीमा में फेंक आयें। ऐसा करने से रोग ठीक हो जाता है।
4.दोहा मंत्र:-
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवनकुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहि हरहु कलेस बिकार ।
चौपाई मंत्र:-
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ।
हनुमान जी के दोहा तथा चौपाई मंत्र के निरंतर जाप करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है तथा सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है पुराने से पुराना क्लेश या रोग या कोई भी स्वास्थ्य जनित समस्या हो तो उससे निजात मिल जाता है आप इन मंत्रों का जाप सुबह या शाम कभी भी कर सकते हैं.
5.इस मंत्र का उच्चारण आपको किसी भी अप्रत्याशित घटना से बचाता है और साथ ही बीमारियों से भी आपकी रक्षा करता है।
((“ॐ त्रयम्बकम यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् !!))
6.वे जातक जो किसी प्रकार के रोग का सामना कर रहे हैं उन्हें नियमानुसार इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
((“ॐ नमो भगवते आंजनेय महाबलाय स्वाहा”))
7.देवी दुर्गा को पाप नाशिनी कहा जाता है… ये ना सिर्फ मनुष्य के पाप बल्कि उनके रोगों का भी नाश करती है।जो उनकी शरण में जाता है वे उसे हर विपत्ती से बचाती है।
((“रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् । त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति))
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..
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