Mata shail putri pujan

ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..

दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं की नवरात्र का शुभारंभ हो चुका है तथा नवरात्र के पहले दिन माता शैलपुत्री जी की पूजा की जाती है जो कि माता दुर्गा की  नौ स्वरूपों में से सबसे पहली स्वरूप मानी जाती है.

माता शैलपुत्री जी के पूजा का महत्व:-

माता आदिशक्ति के  नो स्वरूपों में माता शैलपुत्री का पहला स्थान मानते हैं तथा पुत्री ने हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया था इसलिए इनका नाम शैलपुत्री पड़ा.माता शैलपुत्री नाम के विश्व के ऊपर सवारी करती है तथा इन के दाएं हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल पुष्प होता है. उनकी पूजा-अर्चना करने से सभी कष्टों से निवारण मिल जाता है तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति  होती है.

माता शैलपुत्री के पूजन के दिन सुनाई जाने वाली कथा:-

माता शैलपुत्री की पवित्र कथा:- पौराणिक कथाओं अनुसार एक बार राजा दक्ष के स्वागत के लिए सभी लोग अपने स्थान से खड़े हुए लेकिन भगवान शंकर अपने स्थान से नहीं उठे। राजा दक्ष को उनकी पुत्री सती के पति की यह बात अच्छी नहीं लगी और उन्होंने इसे अपमान स्वरूप ले लिया। इसके कुछ समय बाद दक्ष ने अपने निवास पर एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवताओं को बुलाया, लेकिन अपने अपमान का बदला लेने के कारण शिव जी नहीं बुलाया।सती ने भगवान शिव से अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में जाने की इच्छा जताई। सती के आग्रह पर भगवान शंकर ने उन्हें जाने की अनुमति दे दी। जब सती यज्ञ में पहुंचीं, तो उनकी मां के अलावा किसी ने उन पर ध्यान नहीं दिया। सती के पिता दक्ष ने यज्ञ में सबके सामने भगवान शंकर के लिए अपमानजनक शब्द कहे। अपने पति के बारे में भला-बुरा सुनने से हताश हुईं मां सती ने यज्ञ वेदी मे कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। इसके बाद सती ने अगला जन्म शैलराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में लिया और वे शैलपुत्री कहलाईं।

मां शैलपुत्री की अराधना के मंत्र:-

-ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

-वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

स्तुति: या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..

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