अक्षय तृतीया

ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे….

दोस्तों आज मैं आपको अपने इस ब्लॉग में अक्षय तृतीया के विषय में बताने जा रहा हूं…

अक्षय तृतीया का महत्व:-

इस दिन विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी जैसे कार्य किए जा सकते हैं. पुराणों में लिखा है कि इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिन्डदान बेहद फलदायक होती है. इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं.

अक्षय तृतीया पूजन का समय:-

अक्षय तृतीया तिथि आरंभ- 3 मई सुबह 5 बजकर 19 मिनट पर

अक्षय तृतीया तिथि समापन- 4 मई सुबह 7 बजकर 33 मिनट तक.

रोहिणी नक्षत्र- 3 मई सुबह 12 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर 4 मई सुबह 3 बजकर 18 मिनट तक होगा.पूजा मुहूर्त 3 मई 2022, मंगलवार को सुबह 06:05 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक है.

अक्षय तृतीया पर ग्रहों का गोचर काल:-

अक्षय तृतीया के दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ, शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में, शनि अपनी स्वराशि कुभं में जबकि बृहस्पति अपनी स्वराशि मीन में मोजूद होंगे. इस तरह के संयोग 50 वर्षों के बाद देखने को मिलेंगे जिसकी वजह से इस बार की अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है.

अक्षय तृतीया के लिए पूजन सामग्री:-

माता लक्ष्मी तथा भगवान श्री हरि विष्णु जी की प्रतिमा, पुष्प माला, पुष्प, फल, गंगाजल, अगरबत्ती, धूपबत्ती, मिष्ठान, इत्यादि.

अक्षय तृतीया के लिए पूजन विधि:-

इस दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्य कर्म करने के पश्चात स्वच्छ कपड़े धारण कर ले तथा अपने घर के मंदिर की साफ सफाई करें तत्पश्चात गंगाजल का छिड़काव भी करें तथा घर के मंदिर में चौकी स्थापित करें तथा माता लक्ष्मी तथा भगवान श्री हरि विष्णु जी की प्रतिमा को स्थापित करें तत्पश्चात घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।इस पावन दिन माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा का विशेष महत्व होता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को भोग अवश्य लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है।भगवान की आरती करें।इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

अक्षय तृतीया पर मंत्र तथा उपाय:-

1.लक्ष्मी बीज मंत्र – ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥

2.महालक्ष्मी मंत्र – ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

3.लक्ष्मी गायत्री मंत्र – ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥

4.ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:

5.धनाय नमो नम:

6.ॐ लक्ष्मी नम:

7.ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:

8.लक्ष्मी नारायण नम:

9.पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्

10.ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:

11.ॐ धनाय नम:

12.ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:……

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..

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