Anant Chaturdashi

Anant chaturdashi

ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..

दोस्तों आज मैं आप सभी लोगों को अनंत चतुर्दशी के विषय में बताने जा रहा हूं वैसे तो पुराणों में कहा गया है की अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी का ध्यान करने से समस्त कष्टों का निवारण हो जाता है तथा जिंदगी में किसी भी प्रकार की कोई विपत्ति नहीं आती है और यदि अगर आने वाली होती है तो वह टल जाती है तथा सुख संपत्ति संपदा धन वैभव और ऐश्वर्य की भी प्राप्ति होती है.

अनंत चतुर्दशी का महत्व:-

हमारे हिंदू पुराणों में अनंत चतुर्दशी की कथा के युधिष्ठिर से सम्बंधित होने का  व्याख्यान मिलता है।  जब पांडव अपने ही राज्य से राज्य हीन हो गए थे तब श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने का सुझाव दिया। तथा श्री कृष्ण जी ने कहा कि इस व्रत को रखने से आपका अपना खोया हुआ मान सम्मान तथा साम्राज्य की प्राप्ति आप सभी लोगों को हो जाएगी परंतु युधिष्ठिर ने जब पूछा- यह अनंत कौन हैं? तब श्रीकृष्ण ने कहा कि श्रीहरि के ही स्वरूप हैं। इस व्रत को विधि विधान से करने से जीवन में आ रहे समस्त संकट समाप्त होंगे। तथा सुख संपत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति हो जाती है और सभी प्रकार से कष्टों के निवारण के साथ-साथ कई जन्मों का पुण्य का फल भी प्राप्त हो जाता है.

अनंत चतुर्दशी  के व्रत का शुभ मुहूर्त समय:-

अनंत चतुर्दशी तिथि आरंभ : 19 सितंबर 2021, रविवार 6:07 Am से

चतुर्थी तिथि की समाप्ति : 20 सितंबर 2021, सोमवार 5:30 Am तक.

अनंत चतुर्दशी के लिए पूजा सामग्री:- 

अक्षत, दूर्वा, रेशम या कपास से  बने हुए 14 गांठ वाली अनंत धागा इत्यादि.

अनंत चतुर्दशी के लिए पूजा विधि:-

इस दिन आप सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ध्यान नित्य कर्म इत्यादि कर लेने के तत्पश्चात भगवान श्री हरि विष्णु जी की प्रतिमा को नमस्कार करें तथा मन ही मन भगवान श्री हरि विष्णु जी के मंत्रों का भी जाप करते रहे तत्पश्चात अनंत चतुर्दशी के दिन स्त्री या पुरुष कपास से बने हुए 14 गांठ वाली अनंत धागे को हल्दी में भिगोकर तथा उसे सुखाकर दाहिने भुजा में बांधते हैं. 

 अनंत धागा बांधते समय जाप किया जाने वाला मंत्र:-

‘अनंत संसार महासमुद्रे मग्नं समभ्युद्धर वासुदेव।

अनंतरूपे विनियोजयस्व  ह्यनंतसूत्राय नमो नमस्ते॥’

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…

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