Ganesh Chaturthi Vrat

Ganesh Chaturthi Vrat

ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे.

दोस्तों आज मैं आपको गणेश चतुर्थी के विषय में बताने जा रहा हूं  जोकि भाद्रपद के महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है वैसे तो गणेश जी को बुद्धि का देवता कहा गया है तथा इनकी पूजा-अर्चना करने से बुद्धि विवेक में वृद्धि होती है तथा सभी प्रकार की अड़चन है जो आपकी जिंदगी में मुसीबतों को उत्पन्न कर रही होती है उनसे भी निदान मिलता है तथा गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा गया है इसलिए  जिंदगी में आ रही सभी प्रकार की विधि दूर होती हैं तथा सुख संपत्ति ऐश्वर्य की प्राप्ति भी होती है 

गणेश चतुर्थी का महत्व:-

हिंदू धर्म के ग्रंथों के अनुसार पुराणों में तथा वेदों में भी कहा गया है की भाद्रपद के महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का एक विशेष ही महत्व है तथा इस दिन बहुत ही धूमधाम से गणेश जी को घर में स्थापित किया जाता है तथा यह पूजा ही 11 दिनों तक चलती है तथा इनकी पूजा-अर्चना विधि पूर्वक की जाती है तथा गणेश जी को घर में लाकर स्थापित करने के तत्पश्चात पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार की मनोकामना की पूर्ति भी होती है तथा सभी प्रकार के विभिन्न का भी अंत हो जाता है

गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की स्थापना का समय:-

चतुर्थी का प्रारंभ 10 सितंबर 2021 के  देर रात्रि 12:17 से प्रारंभ हो जाएगा.तथा 10 सितंबर 2021 के रात्रि 10:00 बजे तक चतुर्थी का समय रहेगा.तथा पूजा का शुभ मुहुर्त मध्याह्र काल में 11:03 से 13:33 तक है यानि 2 घंटे 30 मिनट तक है।

हमारे ग्रहों पर प्रभाव:-

वैसे तो गणेश जी को बुद्धि का देवता भी कहा जाता है इसीलिए इनका सबसे ज्यादा अधिपत्य बुध ग्रह पर होता है यदि अगर आपके जन्म कुंडली में बुध की स्थिति खराब हो या बुध के खराब होने की वजह से आपके कार्यों में अड़चनें और रुकावट है बहुत ज्यादा आ रही हूं तो बुध ग्रह मजबूत हो जाता है तथा आपके रुकावटें भी दूर हो जाती है यदि अगर आपकी कुंडली में बुध नीच का हो या वक्र अवस्था में भी हो तो भी गणेश जी की पूजा से बुद्ध की स्थिति में काफी राहत मिल जाती है तथा व्यापारिक नजरिए से देखा जाए तो इंसान की व्यापार में भी वृद्धि होती है.

गणेश जी की स्थापना के लिए पूजा सामग्री:-

पूजा के लिए गणेश जी की मूर्ति, जल कलश, पंचामृत, लाल कपड़ा, रोली, अक्षत, कलावा जनेऊ, इलाइची, नारियल, चांदी का वर्क, सुपारी, लौंग पंचमेवा, घी कपूर, पूजा के लिए चौकी, लाल कपड़ा,मोदक, लड्डू, कोई भी मिष्ठान(मिठाई), गंगाजल इत्यादि.

गणेश जी की पूजा की विधि:-

इस दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने नित्य कर्म इत्यादि तत्पश्चात स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें तथा अपने घर के मंदिर की साफ सफाई इत्यादि कर ले तत्पश्चात आप मंदिर में गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करें तथा उसे स्वच्छ कपड़े भी धारण करें तथा गहने भी धारण करें उसके बाद आप घर में गंगाजल से छिड़काव करें तत्पश्चात आप गणेश जी को दुर्वा लड्डू मिष्ठान तथा उपरोक्त पूजा की सामग्री चढ़ा दें तथा गणेश जी की वंदना करें उसके बाद उनको चढ़ाया हुआ प्रसाद आप लोगों में बांटे तथा खुद भी खाएं. 

गणेश चतुर्थी के दिन क्या नहीं करना चाहिए:- 

इस दिन कुछ ध्यान रखने वाली बातें भी है कुछ नियम भी है जिनका आपको पालन अवश्य करना चाहिए इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए प्याज लहसुन का अभी वर्जित करना चाहिए तथा इस दिन सायंकाल से रात्रि काल तक चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए वरना इस दिन आपको चंद्रमा देखने से दोष भी लग सकता है.

गणेश जी के पूजा मंत्र तथा आरती:-

गणेश जी की वंदना:-

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

1.गणेश गायत्री मंत्र:

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।

2.तांत्रिक गणेश मंत्र:

ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।

ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति, सिदि्ध पति। मेरे कर दूर क्लेश।।

3.गणेश कुबेर मंत्र:

ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।

4.गणेश जी की आरती:-

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,

माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी। 

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,

लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया। 

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।। 

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा .. 

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा। 

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। 

कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…

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