Guru Purnima (गुरु पूर्णिमा)

guru purnima

ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.

ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे….

दोस्तों कई युगों से गुरु  के महत्व को सर्वोपरि माना गया है तथा गुरु के ही महिमा से उनके आशीर्वाद से मनुष्य को एक सही रास्ते पर जाने का अवसर भी प्राप्त होता है इसीलिए गुरु को सभी से सर्वोपरि माना गया है.आज हम जानेंगे गुरु के महत्व के विषय में..

गुरु पूर्णिमा ( Guru Purnima )इस बार आषाढ़ मास की पूर्णिमा 24 जुलाई 2021 शनिवार को पड़ रही है क्योंकि सनातन धर्म में सनातन धर्म के लोग इसे बहुत ही अच्छे से मनाते हैं . क्योंकि सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा का बहुत ही विशेष महत्व होता है तथा इस दिन  महर्षि गुरु वेद व्यास का भी जन्म हुआ था तथा गुरु पूर्णिमा महर्षि वेदव्यास के जन्म दिवस के अवसर से भी जुड़ी हुई है .


गुरु पूर्णिमा का समय:-

गुरु पूर्णिमा 23 जुलाई 2021 के सुबह 10:43 पर प्रारंभ होगी . तथा 24 जुलाई 2021 के सुबह 8:06 पर समाप्त होगा.

 गुरु पूर्णिमा का महत्व:-

सनातन धर्म में चारों वेदों के ज्ञाता तथा ज्ञान प्रकाशित करने वाले गुरु महर्षि वेदव्यास के जन्म दिवस के अवसर पर गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाते हैं . पुराणों से ही गुरु को माता-पिता से ही सर्वोपरि माना गया है तथा गुरु के ज्ञान दीक्षा के वजह से शिष्य गलत मार्ग पर चलने से बचते हैं . तथा गुरु के बिना एक बेहतर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है . तथा पुराणों में कुल 18 पुराणों के रचयिता गुरु महर्षि वेदव्यास जी ही है.

क्यों  कहा जाता हैं गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा:-

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी इसलिए कहते हैं क्योंकि गुरु पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था महर्षि वेदव्यास जी 6 शास्त्रों तथा 18 पुराणों की रचना भी की थी. महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत कथा श्रीमद् भागवत  तथा ब्रह्मसूत्र जैसे महान पुराणों की रचना भी इन्होंने ही की थी. किसी कारणवश गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है.

पूजा सामग्री:-

आटे की पंजीरी (भोग लगाने के लिए), नारियल, कुमकुम, दीपक,  पीले अनाज, पीले वस्त्र ,पीली मिठाई(दान के लिए),पीला आसन..

पूजा विधि:-

सुबह उठकर नित्य कर्म से स्नान आदि कर लेने के तत्पश्चात सूर्य को अर्ध्य दें तथा अर्ध देते समय सूर्य मंत्र का जाप करें तथा पीले आसन पर बैठकर अपने गुरु का भी ध्यान करें तथा इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी का भी ध्यान करें तथा इनकी पूजा भी करें और उनके  मंत्रों (ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः)का भी 108 बार जाप करें. तथा आटे की पंजीरी का भोग लगाएं और लक्ष्मी नारायण मंदिर में जाकर नारियल अर्पित करें. तत्पश्चात आप जरूरतमंदों को पीले अनाज पीले वस्त्र तथा पीली मिठाई का दान करें.

हमारे जन्म कुंडली पर प्रभाव:-

गुरु पूर्णिमा के दिन पीले वस्त्र तथा पीले वस्तुओं का दान करने से  कुंडली में बन रहे गुरु ग्रह का दोष भी दूर हो जाता है तथा गुरु ग्रह बलवान होकर सहयोग करने लग जाता है तथा भाग्य में भी वृद्धि हो जाती है जिनके कुंडली में गुरु ग्रह के खराब होने से आर्थिक स्थिति डगमगा रही हो उनको गुरुवार के दिन भगवान श्री हरि विष्णु तथा लक्ष्मी नारायण मंदिर में जाकर नारियल अर्पित करने से तथा पीले वस्तुओं को चढ़ाने  से उनके आर्थिक स्थिति में भी सुधार आने लग जाता है तथा घर में सुख ऐश्वर्य वैभव तथा धन आगमन पूर्ण रूप से होने लग जाता है.आप सभी लोगों को मेरी यह जानकारी पसंद आई हो तो हमें नीचे दिया गया नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.

इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…

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