ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों आज मैं आपको हरितालिका का तीज के बारे में बताने जा रहा हूं
जोकि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया को मनाई जाती है इस दिन महिलाएं( शादीशुदा महिलाएं) व्रत रखती हैं तथा इस दिन व्रत रखने से सुखी दांपत्य जीवन की प्राप्ति होती है तथा इस दिन व्रत रखने से पति की उम्र भी लंबी होती है यदि अगर कोई कुंवारी कन्या भी इस व्रत को रखती है तो उसे मन के मुताबिक मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है.
हरितालिका तीज का महत्व:-
यह व्रत निर्जला व्रत भी कहा जाता है इस दिन बिना पानी पिए इस व्रत को रखना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है. तथा इस दिन केवल एक बार ही जल ग्रहण किया जाता है वह भी प्रदोष काल के पूजा मुहूर्त के तत्पश्चात तथा हरतालिका तीज व्रत करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुयोग्य वर की भी प्राप्ति होती है। संतान सुख भी इस व्रत के प्रभाव से मिलता है।
हरितालिका तीज का समय:-
हरितालिका तीज का समय 8 सितंबर 2021 की देर रात्रि 2:33 पर आरंभ होगा तथा 9 सितंबर 2021 रात्रि 12:18 पर समाप्त हो जाएगा. परंतु उदया तिथि के अनुसार 9 सितंबर 2021 को या व्रत रखा जाएगा.
सुबह का मुहूर्त:- सुबह 06 बजकर 03 मिनट से सुबह 08 बजकर 33 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त:- शाम को 06 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।
व्रत के लिए पूजा की सामग्री:-
शंकर तथा पार्वती जी की प्रतिमा या मूर्ति, श्रृंगार का सामान,फल, मिठाई, कपड़े, पूजा का सामान( धूप, दीप, अगरबत्ती, पुष्प, बेलपत्र इत्यादि).
पूजा विधि:-
शुक्ल पक्ष की तृतीया के प्रात काल उठकर नित्य कर्म इत्यादि करने के तत्पश्चात नहा धोकर स्वक्ष कपड़े धारण कर लेनी चाहिए तथा शंकर जी का मन में स्मरण भी करते रहना चाहिए. तत्पश्चात आप अपने घर के मंदिर को साफ सुथरा करें तथा शंकर जी की प्रतिमा को स्थापित करें तत्पश्चात शंकर पार्वती जी को श्रृंगार का सामान चढ़ा दे( पहना दे)तथा उनको फल पुष्प तथा बेल पत्र इत्यादि चढ़ा दे तत्पश्चात हरितालिका तीज का कथा सुने उसके बाद चढ़ाए गए प्रसाद को लोगों में अर्पित कर दे तथा व्रत पारण के तत्पश्चात आप भी उस प्रसाद को ग्रहण कर ले.
हरितालिका के व्रत के लिए मंत्र तथा उपाय:-
माता पार्वती का मंत्र:-
ओम शिवाये नम:। ओम उमाये नम:। ओम पार्वत्यै नम:। ओम जगद्धात्रयै नम:। ओम जगत्प्रतिष्ठायै नम:। ओम शांतिरूपिण्यै नम:।
भगवान शिव का मंत्र:-
ओम नम: शिवाय। ओम हराय नम:। ओम महेश्वराय नम:। ओम शम्भवे नम:। ओम शूलपाणये नम:। ओम पिनाकवृषे नम:। ओम पशुपतये नम:।
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…
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