Kamika Ekadashi

kamika

ऊँ नमः शिवाय।

राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं. ईश्वर से कामना करता हूं.

आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे….

दोस्तों कामिका एकादशी (kamika Ekadashi) का महत्व  पुराणों में भी पूर्ण रूप से चर्चित है कामिका एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी की आराधना करने से सभी पापों से मुक्ति भी मिलती है तथा कामिका एकादशी सावन के महीने में पढ़ने वाला कृष्ण पक्ष में सबसे पहला एकादशी होता है तथा कामिका एकादशी को महत्वपूर्ण भी इसलिए बताया गया है क्योंकि कामिका एकादशी से भगवान श्री हरि विष्णु जी का विशेष जुड़ाव भी है इसीलिए हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार कामिका एकादशी हमारे जिंदगी भर काफी गहरा प्रभाव भी पड़ता है.

 कामिका एकादशी का समय:-

कामिका एकादशी हिंदी पंचांग के अनुसार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी  3 अगस्त 2021 को दोपहर 12:59 पर प्रारंभ होगी तथा 4 अगस्त 2021 को दोपहर 3:17 पर समाप्त हो जाएगी. परंतु उदया तिथि के अनुसार कृष्ण पक्ष की एकादशी कामिका एकादशी का व्रत 4 अगस्त 2021 को ही रखा जाएगा तथा 5 अगस्त 2021 को व्रत का पारण किया जाएगा.

कामिका एकादशी (kamika Ekadashi)का महत्व:-

पुराणों में कामिका एकादशी का महत्व मुख्य रूप से चर्चित है मान्यता भी यह है कि महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण जी ने पांडवों को एकादशी के महत्व के विषय में बताया था मान्यता तो यह भी है कि कामिका एकादशी का व्रत रखने से तथा विधि पूर्वक पूजा करने से जीवन के सभी प्रकार के कष्टों का नाश हो जाता है तथा

सुख समृद्धि धन ऐश्वर्य वैभव की प्राप्ति होती है तथा इस व्रत को रखने से यदि पित्र दोष आपके कुंडली में बन रहा हो तो पितृदोष की भी शांति होती है तथा पित्र प्रसन्न होते हैं.

हमारी जन्म कुंडली पर कामिका एकादशी का प्रभाव:-

यदि हमारी जन्म कुंडली में गुरु की स्थिति भी थोड़ी खराब हो रही हो या किसी भी प्रकार से गुरु का कोई भी दोष होता था यदि अगर हमारी जन्मकुंडली में पितृदोष भी बन रहा हो

तो भी कामिका एकादशी के विधिपूर्वक पूजन तथा व्रत रखने से गुरु की समस्या गुरु का दोष खत्म हो जाता है तथा पित्र दोष से भी निजात मिल जाता है तथा भाग्य दुर्भाग्य से सौभाग्य में बदल जाता है.

पूजन सामग्री:-

श्री हरी विष्णु जी की प्रतिमा  या मूर्ति, चौकी, पीला कपड़ा, फल फूल, दूध,तिल,पंचामृत, इत्यादि.

 पूजा विधि:-

इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपना नित्यकर्म इत्यादि समाप्त करने के बाद तथा स्नान आदि करने के तत्पश्चात भगवान श्री हरि विष्णु जी का ध्यान करें तथा अपने घर के पूजा स्थल को गंगाजल छिड़क कर थोड़ा पवित्र करें तत्पश्चात चौकी पूजा स्थान पर स्थापित करें तथा उस पर पीला कपड़ा बिछा दें फिर भगवान श्री हरि विष्णु जी की प्रतिमा या मूर्ति को उस चौकी पर स्थापित करें तथा

भगवान श्री हरि विष्णु जी को तुलसी पत्र अर्पित करें तथा फल फूल तेल दूध पंचामृत इत्यादि चढ़ाएं तथा इस दिन दिनभर निर्जला रहकर भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा अर्चना करें तथा सायंकाल में ब्राह्मणों को भोजन तथा दक्षिणा वगैरा भी दान करें तथा विष्णु सहस्त्रनाम मंत्र का जाप करें तथा

कामिका एकादशी व्रत की कथा भी सुने और भगवान श्री हरि विष्णु जी की आरती उतारे तथा शासन काल में भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा इत्यादि करने के बाद हो सके तो रात भर जागरण करें तथा अगले दिन व्रत का पारण करें.

भगवान श्री हरि विष्णु जी का मंत्र :-

1. श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत्र.

2. ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः.

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…

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