NAG PANCHAMI

ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं. ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…

श्रवण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है।हिंदू धर्म ग्रंथों में मान्यता के अनुसार, इस दिन जो व्यक्ति नाग देवता की पूजा करने के साथ ही रुद्राभिषेक करता है उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।

नागपंचमी का पूजा का समय:-

श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 2 अगस्त 2022 के दिन पड़ रही है। ऐसे में इस बार नाग पंचमी 02 अगस्त को मनाई जाएगी।

नाग पंचमी 02 अगस्त 2022 सुबह 5:13 मिनट से

03 अगस्त 2022 सुबह 05:41 मिनट तक रहेगा.

पूजा का शुभ मुहूर्त-  02 अगस्त 2022 सुबह 5:43 मिनट से शुरू होकर सुबह 8:25 मिनट तक होगा.

नाग पंचमी का कालसर्प दोष पर प्रभाव:-

नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से हमारी पत्रिका में बन रहे कालसर्प दोष के अशुभ दोष का निवारण भी हो जाता है तथा नाग पंचमी के दिन विधिवत पूजा करने से  पत्रिका में चल रहे राहु के दोष से भी निवारण हो जाता है नाग पंचमी के दिन विधिवत पूजा करने से राहु के सभी प्रकार से दोस्त समाप्त हो जाते हैं.

नाग पंचमी त्योहार का महत्व:-

नाग पंचमी के दिन अनंत, वासुकि, शेष, पद्म, कंबल, अश्वतर, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक, कालिया और पिंगल आदि 12 देव नागों का स्मरण किया जाता है तथा पुराणों में कहा गया है कि ऐसा करने से भय तत्काल खत्म होता है।तथा इनका नाम स्मरण करने से धन लाभ होता है।तथा इंसान को स्वस्थ आयु की प्राप्ति भी होती है.

पूजन सामग्री:-

नागदेव की प्रतिमा या चित्र मूर्ति, लकड़ी की चौकी,हल्दी, रोली, साबुत चावल, फूल, फल, कोई भी मिठाई,कच्चा दूध, देसी घी,गुड़, चीनी,आरती की थाली, तथा आरती का पूरा सामान……

पूजा विधि:-

नागदेव का चित्र  या प्रतिमा लकड़ी की चौकी पर लगाकर सुबह उन्हें जल चढ़ाया जाता है। तथा हल्दी रोली साबुत चावल मिलाकर  प्रतिमा पर लगाया जाता है इसके साथ ही उन पर घी -गुड़ तथा कच्चा दूध और चीनी मिलाकर चढ़ाया जाता है। शाम को सूर्यास्त होते ही नाग देवता के नाम पर मंदिरों और घर के कोनों में मिट्टी के कच्चे दिए में गाय का दूध रखा जाता है।तथा फल फूल और मिठाई चढ़ाया जाता है तथा शाम को भी उनकी आरती और पूजा की जाती है।

नागपंचमी की कथा:-

प्राचीन काल में एक सेठजी के सात पुत्र थे। सातों के विवाह हो चुके थे। सबसे छोटे पुत्र की पत्नी उत्‍तम व‍िचारों की और सुशील थी। परंतु उसके भाई नहीं था। एक दिन बड़ी बहू ने घर लीपने को पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं को साथ चलने को कहा तो सभी डलिया (खर और मूज की बनी छोटी आकार की टोकरी) और खुरपी लेकर मिट्टी खोदने लगी। तभी वहां एक सर्प निकला, जिसे बड़ी बहू खुरपी से मारने लगी। यह देखकर छोटी बहू ने उसे रोकते हुए कहा मत मारो इसे। यह बेचारा निरपराध है। यह सुनकर बड़ी बहू ने उसे नहीं मारा तब सर्प एक ओर जा बैठा। तब छोटी बहू ने उससे कहा-‘हम अभी लौट कर आती हैं तुम यहां से जाना मत। यह कहकर वह सबके साथ मिट्टी लेकर घर चली गई और वहां कामकाज में फंसकर सर्प से क‍िया वादा भूल गई।

नाग पंचमी के पूजा का मंत्र:-

1.* ॐ भुजंगेशाय विद्महे,

सर्पराजाय धीमहि,

तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।

2.’सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।

ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।।

ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।

ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।’

3.नाग गायत्री मंत्र :-

।। ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात् ।।

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…

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