शारदीय नवरात्रि

 नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..

शारदीय नवरात्रि का महत्व:-

नवरात्र शब्द से ‘नव अहोरात्र’ अर्थात विशेष रात्रियों का बोध होता है। इन रात्रियों में प्रकृति के बहुत सारे अवरोध खत्म हो जाते हैं। दिन की अपेक्षा यदि रात्रि में आवाज दी जाए तो वह बहुत दूर तक जाती है। इसीलिए इन रात्रियों में सिद्धि और साधना की जाती है.

शारदीय नवरात्रि का समय:-

आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 की रात 11:24 मिनट से शुरू होगी. ये 15 अक्टूबर की दोपहर 12:32 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से होगी.

घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त:-

15 अक्टूबर 2023 को घटस्थापना के लिए सुबह का शुभ मुहूर्त 6:30 बजे से सुबह 8:47 बजे तक रहेगा. वहीं कलश स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त भी शुभ माना जाता है. 15 अक्टूबर को ये मुहूर्त सुबह 11:44 बजे से शुरू होगा और दोपहर 12:30 बजे तक रहेगा. इन दोनों शुभ काल में आप अपने घर में कलश स्थापना कर सकते हैं.

नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व:-

धर्म ग्रंथों के अनुसार, 3 से लेकर 9 वर्ष तक की कन्याओं को मां का साक्षात स्वरूप माना जाता है।एक कन्या को पूजने का मतलब ऐश्वर्य, दो की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन की अर्चना से धर्म, अर्थ व काम, चार से राज्यपद, पांच से विद्या, छ: की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धि, सात से राज्य, आठ की पूजा से संपदा और नौ की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि में प्रयोग में लाए जाने वाली पूजा की सामग्री:-

माता दुर्गा जी की प्रतिमा या मूर्ति,शुद्ध मिट्टी का कलश, आम के साबुत पत्ते, रेत,जौ,गंगाजल,हल्दी की गांठ, सुपारी, दुर्वा,दुर्गा जी के लिए श्रृंगार का सामान,रोली,चावल,सिंदूर,फूल माला,माला,फूल चढ़ाने के लिए,चुनरी,साड़ी,आभूषण,अखंड दीप इत्यादि.

पूजन करने की विधि:-

नवरात्रि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्य कर्म करने के तत्पश्चात स्वच्छ कपड़े धारण करें तथा अपने पूजा स्थल की साफ सफाई करें तथा पूजा स्थान पर कलश की स्थापना करने से पहले उस जगह को गंगा जल से शुद्ध कर कलश को पांच तरह के पत्तों से सजाएं। उसमें हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा, आदि रखें व कलश को स्थापित करने के लिए उसके नीचे मिट्टी की वेदी बनाएंं। जिसमें जौ बोये, जौ बोने की विधि धन-धान्य देने वाली देवी अन्नपूर्णा को खुश करने के लिए की जाती है। मां दुर्गा की फोटो या मूर्ति को पूजा स्थल के बीच स्थापित करें। जिसके बाद मां दुर्गा को श्रृंगार, रोली ,चावल, सिंदूर, माला, फूल, चुनरी, साड़ी, आभूषण अर्पित करें। कलश में अखंड दीप जलाया जाए, जिसे व्रत के आखिरी दिन तक जलाया जाना चाहिए।तथा नवरात्रि समाप्त होने के तत्पश्चात आप अपना व्रत पारण करने के बाद आप अखंड दीप को जलाना बंद कर सकते हैं.

पूजन मंत्र:-

1.कल्याण के लिए मंत्र:-

सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तु ते।।

2.आरोग्य एवं सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मंत्र:-

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।।

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

3.रक्षा के लिए मंत्र:-

शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।।

घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।

4.रोग नाश के लिए मंत्र:-

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।

5.विपत्ति नाश और शुभता के लिए मंत्र:-

करोतु सा न: शुभहेतुरीश्वरी।।

शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापद:।।

6.शक्ति प्राप्ति के लिए मंत्र:-

सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि।।

गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोस्तु ते।।

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..

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