ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों आज मैं आपको पापांकुशा एकादशी के विषय में बताने जा रहा हूं जोकि पापांकुशा एकादशी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं. इस एकादशी पर भगवान ‘पद्मनाभ’ की पूजा की जाती है. पापरूपी हाथी को इस व्रत के पुण्यरूपी अंकुश से वेधने के कारण ही इसका नाम ‘पापांकुशा एकादशी’ हुआ है.
पापांकुशा एकादशी का महत्व:-
पापांकुशा एकादशी के व्रत से मन शुद्ध होता है व्यक्ति के पापों का प्रायश्चित होता है साथ ही माता, पिता और मित्र की पीढ़ियों को भी मुक्ति मिलती है.इस एकादशी का महत्त्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था.इस दिन मौन रहकर भगवद स्मरण तथा भोजन का विधान है. इस प्रकार भगवान की अराधना करने से मन शुद्ध होता है तथा व्यक्ति में सद्-गुणों का समावेश होता है.
पापांकुशा एकादशी का समय:-
एकादशी तिथि का प्रारंभ 15 अक्टूबर 2021 के शाम 6 बजकर 05 मिनट से होगा. वहीं एकादशी की तिथि का समापन 16 अक्टूबर 2021की शाम 5 बजकर 37 मिनट पर होगा. परंतु उदया तिथि के अनुसार व्रत 16 अक्टूबर को रखा जाएगा तथा एकादशी व्रत के पारण का समय 17 अक्टूबर 2021, को सुबह 6 बजकर 28 मिनट से 8 बजकर 45 मिनट तक का रहेगा.
पापांकुशा एकादशी व्रत के लिए पूजा सामग्री:-
भगवान श्री हरि विष्णु जी के ‘पद्मनाभ’ स्वरूप की प्रतिमा या मूर्ति, धूप, दीप, अगरबत्ती, पुष्प,ऋतुफल,मिठाई,पंचामृत,सफेद चंदन,गोपी चंदन इत्यादि.
पापांकुशा एकादशी व्रत के लिए पूजा विधि:-
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्य कर्म करने के पश्चात शख्स कपड़े धारण करें तथा घर के मंदिर की सफाई करें गंगाजल छड़ के तथा भगवान श्री हरि विष्णु जी के ‘पद्मनाभ’ स्वरूप की प्रतिमा या मूर्ति मंदिर में स्थापित करें. तथा अपने मन ही मन भगवान के मंत्रों का जाप भी करते रहे तत्पश्चात मस्तक पर सफ़ेद चन्दन या गोपी चन्दन लगाकर पूजन करें तथा इनको पंचामृत , पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें.चाहें तो एक वेला उपवास रखकर , एक वेला पूर्ण सात्विक आहार ग्रहण करें तथा शाम को आहार ग्रहण करने के पहले उपासना और आरती जरूर करें इसके पश्चात आज के दिन ऋतुफल और अन्न का दान करना भी विशेष शुभ होता है.तथा व्रत पारण के पश्चात आप अन्न का दान कर सकते हैं.
पापांकुशा एकादशी व्रत के लिए मंत्र तथा उपाय:-
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..
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