ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों आज मैं आपको परीवर्तनी एकादशी के विषय में बताने जा रहा हूं तथा इस परिवर्तनी एकादशी को जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है तथा इसके अलावा इसे आप पदमा एकादशी भी कह सकते हैं. जो कि हमारे जिंदगी में इसकी एक बहुत ही महत्वपूर्ण जगह है तथा इस एकादशी के व्रत रखने से मनोवांछित फल की भी प्राप्ति हो जाती है.
परिवर्तनी एकादशी का महत्व:-
पुराणों के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु चतुर्मास के दूसरे महीने में शयन शैय्या पर सोते हुए करवट बदलते हैं. उनके इस स्थान परिवर्तन के कारण इस एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं.तथा मान्यता तो यह भी है कि इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु वामन अवतार के रूप में पाताल लोक में निवास करते हैं इस वजह से इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी के वामन स्वरूप की पूजा करनी चाहिए.
परिवर्तनी एकादशी का समय:-
हमारे हिंदू पंचांग के तहत एकादशी का समय 16 सितंबर 2021 के सुबह 9:39 पर शुरू होगी तथा 17 सितंबर 2021 सुबह 8:08 तक एकादशी का समय रहेगा.परंतु उदया तिथि के अनुसार इस एकादशी को 17 सितंबर 2021 को ही मनाया जाएगा.
परिवर्तनी एकादशी के लिए पूजा सामग्री:-
भगवान श्री हरि विष्णु जी की मूर्ति या प्रतिमा, वामन देव जी की मूर्तियां प्रतिमा, देसी घी, दीपक( जलाने के लिए), तथा साफ-सुथरे वस्त्र(भगवान को पहनाने के लिए), मिठाई, फल, नैवेद्य, अक्षत, धूप, इत्यादि.
पूजा विधि:-
एकादशी के व्रत के लिए भाद्रपद के शुक्ल पक्ष के दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण ना करें तथा अगले दिन एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि नित्य कर्म कर लेने के तत्पश्चात आप स्वच्छ कपड़े धारण करें तथा घर के मंदिर की सफाई करें तथा भगवान की प्रतिमा या मूर्ति को स्थापित करें तथा उन्हें स्वच्छ कपड़े भी धारण कराएं तत्पश्चात उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं तथा उनको फल फूल मिठाई नैवेद्य इत्यादि चढ़ाने के तत्पश्चात आप भगवान जी के मंत्रों का जाप करें तथा पूजा करने के दौरान भी आप भगवान श्री हरि विष्णु जी के मंत्रों का जाप करते रहें तत्पश्चात अंत में आप भगवान श्री हरि विष्णु जी के आरती करें तत्पश्चात उनको चढ़ाया हुआ भोग लोगों में प्रसाद के रूप में बांट दें तथा आप अगले दिन द्वादशी के समय पर शुभ मुहूर्त में व्रत पारण कर ले.
परिवर्तन एकादशी के लिए पूजा मंत्र:-
ऊं नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
शांताकारं भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम। विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मीकान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।।
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…
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