ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों जैसा कि आपको पता है कि पितृपक्ष प्रारंभ हो चुका है तथा पितृपक्ष में किए जाने वाली क्रियाएं आपके जिंदगी पर क्या असर डालती हैं या किस प्रकार यह सारी क्रियाएं करनी चाहिए क्या आप सही डायरेक्शन पर है या नहीं वह सारी की सारी चीजें मैं आपको इस ब्लॉग में बताने जा रहा हूं.
पितृपक्ष के प्रारंभ समय:-
जैसा कि आपको पता है यह पितृपक्ष का प्रारंभ हो चुका है तथा यह पक्ष हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है। इस साल पितर पक्ष 21 सितंबर, दिन मंगलवार से शुरू होकर 06 अक्टूबर तक रहेगा। पितर पक्ष में विशेष रूप पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्घ और तर्पण करने का विधान है।
हमारे कुंडली तथा जीवन पर इसका प्रभाव:-
पितृपक्ष के दिन पितरों की आत्मा की तृप्ति किए जाने से हमारे कुंडली पर तथा हमारे जीवन पर इसका खास प्रभाव पड़ता है यदि अगर किसी जातक की कुंडली में पित्र दोष बन रहा हो तो भी पितृपक्ष के दिन विधि विधान से पितरों को पिंड दान करने से भी पितृदोष की समाप्ति हो जाती है तथा जिंदगी में आ रही बाधाएं भी दूर होने लग जाती हैं.
पितृपक्ष के समय किए जाने वाले नियम:-
पितृपक्ष के समय पर व्यक्ति को साफ सफाई का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए तथा रोज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्य कर्म करने के तत्पश्चात इन 10 नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए.
1.इस समय व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करना चाहिए तथा सात्विक भोजन को ही ग्रहण करें तो ज्यादा उचित है.
2.पितृपक्ष के समय में तर्पण कर रहे लोगों को स्नानादि के दौरान शैंपू तेल इत्यादि का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए.
3.पितृपक्ष के समय पर किसी भी प्रकार से कोई भी नई वस्तु की खरीदी या कपड़े गहने इत्यादि खरीदना उचित नहीं माना जाता है.
4.पितृपक्ष के समय पर जातक को सिर्फ पितरों का ध्यान तथा उनके पिंडदान ही करना चाहिए इसके अलावा कोई भी मांगलिक कार्य करना उचित नहीं माना जाता है
5.पक्ष के समय पर किसी भी प्रकार से संध्या या रात्रि के समय में पितरों को तर्पण नहीं देना चाहिए इस का मुहूर्त केवल सुबह या दिन तक ही रखें तो ज्यादा अच्छा है
6.पितृपक्ष में पितरों को किसी भी प्रकार से अनावश्यक वस्तु का तर्पण ना करें केवल शुद्ध जल दूध इत्यादि या फिर आप उसमें पुष्प डालकर तर्पण दे सकते हैं
7.पितृपक्ष के समय पर माना यह जाता है कि पितृलोक में जल की कमी रहती है इसी वजह से जब तक पितृपक्ष का समय चल रहा है रोज जल से तर्पण करने से भी पितरों को तथा उनकी आत्माओं को शांति मिलती है
8.पितृपक्ष के समय पर दान इत्यादि करना भी शुभ माना जाता है तथा ब्राह्मणों को भोजन करवाएं तथा गरीबों में भी भोजन दान करें इससे पित्र जल्दी प्रसन्न होते हैं.
9.मैंने तो तो यही है कि पितृपक्ष के समय पर ब्राह्मणों को भोजन इत्यादि कराने के तत्पश्चात कुछ जमा राशि( दक्षिणा) अवश्य दें इससे पितृ प्रसन्न होते हैं तथा उनकी आत्माओं को भी जल्दी शांति प्राप्त होती है.
10.पितृपक्ष के समय पर आप जो भी भोजन करते हैं या घर में बनाते हैं सर्वप्रथम कुछ भोजन का अंश पहले पितरों को चढ़ाकर गाय या कौवा को खिला दें तत्पश्चात आप भोजन ग्रहण करें इससे भी पितरों की आत्माओं को जल्दी शांति मिलती है तथा पितृदोष भी खत्म होता है पित्र भी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं.
पितरों के आत्माओं के लिए शांति मंत्र:-
पितृ गायत्री मंत्र
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्। ओम् देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
पितरों को जल तर्पण देते समय आप इस गायत्री मंत्र को पढ़ सकते हैं.
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…
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