Sawan Puja

sawan puja

ऊँ नमः शिवाय

राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.

ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे

सावन के महीने का महत्व:-

दोस्तों  पुराणों में कहा गया है की भगवान शिव को अंत्यत मनप्रिय महीना सा (Sawan Puja)मास कहा गया है तथा श्रावण मास की शुरुआत 25 जुलाई, दिन रविवार से शुरू होगा सावन का हर दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। सावन महीने के सोमवार को भोलेनाथ और मंगलवार को मंगला गौरी की पूजा का विधान है।

कहा जाता है कि जो भक्त सावन के सोमवार या मंगलवार को व्रत नहीं रख पाते हैं तो उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है। सावन मास की शिवरात्रि का भी विशेष महत्व होता है। सावन शिवरात्रि के दिन व्रत रखने से भगवान शंकर के साथ माता गौरी का भी आशीर्वाद प्राप्त होने की मान्यता है।  तथा  इस दिन भगवान शिव जी की आराधना करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है तथा मनुष्य को उन्नति तरक्की और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है.

सावन के महीने की वास्विकता:

 मान्यता ही तो यह है कि सावन के महीने में भगवान शिव और गौरी की साधना करने से  तथा सोमवार को व्रत रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है तथा मनुष्य को अपनी जिंदगी में कभी भी निराश होने की जरूरत नहीं पड़ती है उनकी  जिंदगी में तरक्की तथा संपन्नता से परिपूर्णता रहती है  जिंदगी में सुख संपत्ति वैभव यश की प्राप्ति होती है तथा शत्रु पर विजय की प्राप्ति भी होती है और धन लक्ष्मी वैभव उनके घर में सदैव बनी रहती है.

सावन सोमवार:-

1.पहला सोमवार-  26 जुलाई.

2.दूसरा सोमवार- 02 अगस्त.  

3.तीसरा सोमवार-  09 अगस्त.    

4.चौथा सोमवार- 16 अगस्त.

पूजा  सामग्री:-

एक लोटा जल. सफेद चंदन. दूध. दही. मिष्ठान. बेलपत्र. धतूरे का फूल. धतूरा. अक्षत.  इत्यादि.

 पूजा विधि (Sawan Puja):-

सुबह  सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म इत्यादि करने के तत्पश्चात नहा धोकर अच्छे से स्वक्ष कपड़े पहन कर आप अपने घर के मंदिर में भगवान शिव जी की मूर्ति की स्थापना करें तथा श्री गणेश मंत्र का सर्वप्रथम जाप करें .पश्चात आप उनके समक्ष अगरबत्ती जलाएं या धूप बत्ती जला दें तथा उनको सफेद चंदन लगाकर दूध दही मिष्ठान बेल पत्र तथा धतूरे का फूल तथा धतूरा और अक्षत समर्पित करें. तत्पश्चात आप मंदिर में जाकर शिवलिंग पर एक लोटा जल में थोड़ा सफेद चंदन डालकर दूध दही इत्यादि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं तत्पश्चात बेल पत्र तथा धतूरे का फूल इत्यादि भी चढ़ा दे.

पूजा का  मंत्र:-

1. ओम नमः शिवाय.

2. ओम पिनाकीने नमः

3.ओम श्री परमेश्वर आए नमः

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…

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