ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं. ईश्वर से कामना करता हूं. आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे….
दोस्तों महाशिवरात्रि के विषय में तो आप सभी लोग जानते ही होंगे कि महाशिवरात्रि के समय पर भगवान शिव जी की पूजा अर्चना का क्या महत्व होता है तथा मनुष्य के जीवन पर इसका क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ता है उन्हीं में से एक सबसे महत्वपूर्ण शिवरात्रि श्रावण मास के महीने में मनाई जाने वाली शिवरात्रि होती है जिस का महत्व मुख्य रूप बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है तथा इस समय पर भगवान शिव जी की तथा गौरी जी की पूजा करने से मन की सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति भी होती है जीवन में सुख ऐश्वर्य धन वैभव की कभी कमी नहीं रहती है.
शिवरात्रि ( Sawan Shivratri ) का समय:-
शिवरात्रि का समय मुख्य रूप से तो कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 7 अगस्त 2021 को शाम को 7:11 तक रहेगी क्योंकि सावन के महीने में शिवरात्रि के दिन शिव पूजन का समय रात्रि का होता है इसलिए शिवरात्रि 6 अगस्त 2021 को मनाई जाएगी और व्रत भी 6 अगस्त को ही रखा जाएगा.
शिवरात्रि के पूजन से ग्रहों पर असर:-
वैसे तो भगवान शिव के पूजन से पूरे 9 ग्रहों की शांति हो जाती है क्योंकि भगवान शिव के पूजन से चंद्रग्रहण सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं इसलिए चंद्र ग्रह की शांति के लिए भी भगवान शिव जी की पूजन इत्यादि की जाती है तथा भगवान शिव के पूजन से शनि और राहु जैसे दुर्गम ग्रह दी शांत हो जाते हैं तथा
शनि और राहु के वजह से बन रहे अशांति का योग तथा अकस्मात मृत्यु का योग भी चल जाता है तथा किसी अनावश्यक दुर्घटना से भी बचाव हो जाता है तथा मन को शांति भी मिलती है भगवान शिव जी के पूजन अर्चन से भगवान श्री हरि विष्णु जी भी प्रसन्न होते हैं इस कारण पत्रिका में बन रहे गुरु दोष का भी निवारण हो जाता है तथा भगवान शिव के पूजन से माता गौरी भी प्रसन्न हो जाती हैं इस वजह से शुक्र की स्थिति भी जन्म कुंडली में मजबूत हो जाती है तथा धन ऐश्वर्य की प्राप्ति भी होने लग जाती है.
श्रावण शिवरात्रि (Sawan Shivratri )में पूजन सामग्री:-
पंचमेवा या पांच प्रकार के फल, रत्न, सोना चांदी, दक्षिणा, पुष्प, पूजा के बर्तन, कुश का आसन, लोंग,इलाइची,पान,सुपारी,शुद्ध देसी घी, दही, गंगाजल, शहद, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली, जनेऊ, पांच प्रकार के मिष्ठान, बेलपत्र, धतूरा, धतूरे का फूल तथा पत्तियां, भांग, बेर, जो की घास, तुलसी पत्र, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध,
कपूर, धूप, दीप,रूई,ईख गन्ने का रस, मलयागिरी चंदन, भगवान शिव तथा माता पार्वती की श्रृंगार की सामग्री तथा मूर्ति आदि
शिवरात्रि में पूजा विधि:-
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठकर नित्य कर्म इत्यादि करने तत्पश्चात स्नानादि कर ले. तथा तत्पश्चात स्वच्छ कपड़े धारण कर ले. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित कर ले. तत्पश्चात भगवान शिव जी की प्रतिमा मूर्ति तथा गौरी जी की भी प्रतिमा मूर्ति साथ में लगाएं फिर उन पर गंगाजल से अभिषेक करें तथा दूध चढ़ाएं बेलपत्र इत्यादि समर्पित करें तथा उनका श्रृंगार भी करें तथा भगवान शिव तथा गौरी जी की आरती पूजन अर्चन करें तथा फल मिष्ठान से उनको भोग लगाएं ध्यान रखें कि भगवान शिव गौरी जी को केवल सात्विक भोजन तथा फल मिष्ठान ही चढ़ाएं तत्पश्चात कुश के आसन पर बैठकर भगवान शिव जी की साधना करें तथा उनका ध्यान करें तथा रुद्राक्ष के माला से ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें.
पूजा मंत्र:-
1.ओम नमः शिवाय.
2.ॐ महादेवाय नमः
3.महामृत्युंजय मंत्र.
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
4.महाशिवरात्रि पर शिव स्तोत्र.
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।
5.श्री शिव गायत्री मंत्र.
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
6.क्षमा पूजा.
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥
7. श्रावण के शिवरात्रि पर रुद्राक्ष की माला से ओम नमः शिवाय का 108 बार जाप करें.
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…
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