Shree Jagannath Rath Yatra

Shree Jagannath Rath Yatra

राधे राधे दोस्तो, मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.  ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे.

नमस्ते दोस्तों श्री जगन्नाथ जी के बारे में तो आप सभी लोग जानते ही होंगे की श्री जगन्नाथ जी भगवान श्री कृष्ण जी के ही स्वरूप माने जाते हैं तथा उनके साथ इनके बड़े भाई श्री बलराम जी और बहन सुभद्रा जी भी विराजमान रहती हैं जोकि उड़ीसा के पुरी धाम में इनकी मंदिर स्थापित है जिसे हम श्री जगन्नाथ जी का धाम भी  कह सकते हैं तथा यह धाम पौराणिक काल से ही स्थापित है और इसकी मान्यता अभी पूरे भारतवर्ष में विख्यात है मान्यता यह है कि  इनके दर्शन मात्र से ही मनुष्य को अपने पाप कर्म से मुक्ति मिलती है तथा मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है 

जगन्नाथ रथ यात्रा का समय:-

यह पौराणिक रथयात्रा  प्राचीन वर्षों से प्रतिवर्ष आषाढ शुक्ल पक्ष  की  द्वितीया को प्रारंभ होती है। जगन्नाथ रथयात्रा  12 जुलाई 2021को है। तथा 20 जुलाई 2021 को यह रथ यात्रा संपन्न होगी, पद्मपुराण के अनुसार आषाढ माह के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि के दिन सभी कार्यों को करने  से पापों से मुक्ति मिलती है और वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है अर्थात  मोक्ष की प्राप्ति होती है.

जगन्नाथ पुरी के समस्त संबोधित नाम:-

प्राचीन काल से ही जगन्नाथ पुरी  धाम को धरती का वैकुंठ भी कहा गया है, इस  धाम को शाकक्षेत्र, नीलांचल और नीलगिरि भी कहते हैं। अनेकों पुराणों के अनुसार जगन्नाथ पुरी धाम में श्री कृष्ण जी  यहां नीलमाधव के रूप में अवतरित हुए। 

पूजा की सामग्री:-

श्री जगन्नाथ जी की प्रतिमा या मूर्ति (यदि अगर आप यह पूजन अपने घर पर करते हैं ),पीले वस्त्र, चंदन,  कोई भी पांच प्रकार के या अधिक फल, मिष्ठान( दूध से बनी हुई मिठाई),  तुलसी पत्र, गंगाजल, अगरबत्ती, लाल एवं पीले पुष्प, या फिर कोई भी  पुष्प अर्पित करने के लिए.

पूजा विधि:-

श्री जगन्नाथ जी की प्रतिमा या मूर्ति को अपने घर के मंदिर में स्थापित करें. फिर सुबह नित्यकर्म से स्नान इत्यादि के पश्चात पीले वस्त्र धारण करें फिर आप चंदन का तिलक प्रतिमा या मूर्ति पर लगाएं. फिर अगरबत्ती इत्यादि जलाने के बाद उन्हें पुष्प अर्पित करें और मिष्ठान  इत्यादि का भोग लगाएं. तत्पश्चात गजेंद्र मोक्ष  का पाठ करें या फिर गीता के  11वे अध्याय का पाठ कर सकते हैं तथा भगवान को लगाया गया भोग प्रसाद के रूप में सब को बांटे और खुद भी खाएं.

 मैं आशा करता हूं आप सभी लोगों को मेरी यह जानकारी  जरूर पसंद आई होगी तथा अत्यधिक जानकारी को प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए नंबर पर आप हमें संपर्क कर सकते हैं

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