Utpanna ekadashi

Utpanna ekadashi

ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..

दोस्तों आज मैं आपको उत्पन्ना एकादशी (Utpanna ekadashi) के विषय में बताने जा रहा हूं जो कि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी का व्रत 30 नवंबर 2021 दिन मंगलवार को किया जाएगा। एकादशी व्रत करने से पहले इसके व्रत नियमों का पालन करना और उसे समझना बेहद आवश्यक है, तभी आपको पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।इस दिन भगवान श्री हरि की पूजा-उपासना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और दुखों से मुक्ति मिलती है.

उत्पन्ना एकादशी का समय:-

उत्पन्ना एकादशी आरंभ: 30 नवंबर 2021, मंगलवार प्रातः 04:13 बजे से होगा तथा उत्पन्ना एकादशी समापन: 01 दिसंबर 2021, बुधवार मध्यरात्रि 02: 13 बजे होगा. तथा पारण तिथि हरि वासर समाप्ति का समय: प्रातः 07:34 मिनट पर किया जाएगा.

उत्पन्ना एकादशी (Utpanna ekadashi) के लिए पूजन सामग्री:-

भगवान श्री हरि विष्णु जी की मूर्ति या प्रतिमा, गंगाजल, धूप दीप, अगरबत्ती,पुष्प, मिठाई, तुलसी,इत्यादि…

उत्पन्ना एकादशी के लिए पूजन विधि:-

इस दिन आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्य कर्म करने के तत्पश्चात स्वच्छ कपड़े धारण कर लें तथा घर के मंदिर की साफ सफाई करें तथा गंगाजल के छिड़काव करें तत्पश्चात आप घर के मंदिर में भगवान श्री हरि विष्णु जी की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें.तथा घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करें।भगवान श्री विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करके व्रत का संकल्प लें।इस दिन व्रत अवश्य रखें।

भगवान की आरती करें।भगवान को सात्विक चीजों का भोग लगाएं। भोग लगाते समय तुलसी जरूर शामिल करें, क्योकि बिना तुलसी के श्री विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।इस दिन विष्णु मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करें।इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी के साथ-साथ माता लक्ष्मी जी की भी पूजा अर्चना करें. तथा व्रत पारण करने के लिए भगवान को चढ़ाई गई प्रसाद को आप लोगों में बांटे तथा खुद भी ग्रहण करें तत्पश्चात आप अपना व्रत पारण करें.

उत्पन्ना एकादशी (Utpanna ekadashi) के लिए मंत्र तथा उपाय:-

1.‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’।

2.‘ॐ विष्णवे नम:’।

3.‘श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवा’।

4.‘ॐ नमो नारायण’।

5.‘ॐ नारायणाय नम:’।

6.‘ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:’।

7.‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:’।

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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..

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