योगिनी एकादशी

yogini

ऊँ नमः शिवाय।

राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…

दोस्तों आज मैं आपको अपने इस ब्लॉग में आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी के विषय में बताने जा रहा हूं

योगिनी एकादशी का महत्व:-

भगवान श्रीकृष्ण ने योगिनी एकादशी व्रत के महत्व को युधिष्ठिर से बताया था. इस एकादशी व्रत को रखने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं, मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, इस व्रत को करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है.

योगिनी एकादशी का समय:-

हमारे पुराणों में हिंदू धर्म ग्रंथों के पंचांग अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 23 जून 2022 को रात 09:41 मिनट से हो रहा है.तथा 24 जून 2022 को रात 11:12 मिनट तक मान्य रहेगी.परंतु उदयातिथि के अनुसार, योगिनी एकादशी व्रत 24 जून 2022 को रखा जाएगा.

योगिनी एकादशी के पारण का समय:-

व्रत का पारण 25 जून 2022 को सुबह 05:41 मिनट से सुबह 08:12 मिनट के मध्य रहेगा.

योगिनी एकादशी के लिए पूजन सामग्री:-

भगवान श्री हरि विष्णु तथा माता लक्ष्मी जी की मूर्ति या प्रतिमा, तुलसी, गंगाजल,दीप,पुष्प, फल, मिष्ठान( मिठाई), सात्विक भोजन, इत्यादि…

योगिनी एकादशी के लिए व्रत विधि:-

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठकर स्नान आदि नित्य कर्म करने के तत्पश्चात स्वच्छ कपड़े धारण करें तथा घर की मंदिर की सफाई करें गंगाजल से छिड़काव करें तथा मंदिर में माता लक्ष्मी श्री हरि विष्णु जी की मूर्तियां प्रतिमा को स्थापित कर दे. भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।भगवान की आरती करें। भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

योगिनी एकादशी व्रत कथा:-

पौराणिक कथा के अनुसार, स्वर्ग धाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का राजा रहता था। वह शिव भक्त था और प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा किया करता था। हेम नाम का एक माली पूजा के लिए राजा के यहां फूल लाया करता था। हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया, लेकिन कामासक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद तथा रमण करने लगा।इधर राजा उसकी दोपहर तक राह देखता रहा। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली के न आने का कारण पता करो, क्योंकि वह अभी तक पुष्प लेकर नहीं आया। सेवकों ने कहा कि महाराज वह पापी अतिकामी है, अपनी स्त्री के साथ हास्य-विनोद कर रहा होगा। ये सुनकर कुबेर क्रोधित हो गए और उसे बुलाया।हेम माली उपस्थित हुआ। राजा कुबेर ने क्रोध में आकर कहा- तूने मेरे परम पूजनीय ईश्वरों के ईश्वर श्री शिवजी महाराज का अनादर किया है, इसलिए मैं तुझे श्राप देता हूं कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।’कुबेर के श्राप से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर गिर गया। भूतल पर आते ही उसके शरीर में श्वेत कोढ़ हो गया। उसकी स्त्री भी उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। मृत्यु लोक में आकर माली के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट गया। वह जंगल में बिना अन्न और जल के भटकता रहा। रात्रि को निद्रा भी नहीं आती थी, परंतु शिवजी की पूजा के प्रभाव से उसको पिछले जन्म की स्मृति का ज्ञान अवश्य रहा। घूमते-घ़ूमते एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया, जो ब्रह्मा से भी अधिक वृद्ध थे और जिनका आश्रम ब्रह्मा की सभा के समान लगता था। हेम माली वहां जाकर उनके पैरों में पड़ गया।उसे देखकर मार्कण्डेय ऋषि बोले तुमने ऐसा कौन-सा पाप किया है, जिसके प्रभाव से ये हालत हो गई। हेम माली ने सारा वृत्तांत सुनाया। ये सुनकर ऋषि बोले- निश्चित ही तूने मेरे सम्मुख सत्य वचन कहे हैं, इसलिए तेरे उद्धार के लिए मैं एक व्रत बताता हूँ। यदि तू आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सब पाप नष्ट हो जाएंगे।ये सुनकर हेम माली ने अत्यंत प्रसन्न होकर मुनि को साष्टांग प्रणाम किया। मुनि ने उसे स्नेह के साथ उठाया। हेम माली ने मुनि के कथनानुसार विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से अपने पुराने स्वरूप में आकर वह अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।

योगिनी एकादशी के लिए मंत्र तथा उपाय:- मंत्र:-

1.’ॐ नमो नारायण’ या

2.’ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:'((108 बार जाप करें।))

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बस इसी जानने के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं. या कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी या जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्ण दोस्तो…

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