ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.तथा ईश्वर से कामना करता हूं की आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों आज मैं आपको अपने इस ब्लॉक में पापमोचनी एकादशी के विषय में बताने जा रहा हूं.
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचिनी एकादशी व्रत रखते हैं.
पापमोचनी एकादशी का महत्व:-
पापमोचिनी एकादशी का अर्थ है पाप को नष्ट करने वाली एकादशी.पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति मिलती है. भगवान विष्णु के आशीर्वाद से कष्ट और दुख दूर होते हैं. वे अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष प्रदान करते हैं.
पापमोचनी एकादशी का समय:-
इस साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 27 मार्च दिन रविवार को शाम 06 बजकर 04 मिनट पर हो रहा है. एकादशी तिथि का समापन 28 मार्च दिन सोमवार को शाम 04 बजकर 15 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर पापमोचिनी एकादशी का व्रत 28 मार्च को रखा जाएगा.वे व्रत का पारण अगले दिन 29 मार्च को करेंगे. पापमोचिनी एकादशी व्रत का समय सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 43 मिनट तक है.
पापमोचनी एकादशी के लिए पूजन सामग्री:-
भगवान श्री हरि विष्णु जी की मूर्ति या प्रतिमा,7 प्रकार के अनाज जैसे उड़द दाल, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा रखें, कलस, आम या अशोक के पांच पत्ते,पीले पुष्प, मौसमी फल, तुलसी पत्र,धूप दीप, अगरबत्ती, गंगाजल, इत्यादि.
पापमोचनी एकादशी के लिए पूजन विधि:-
एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्य कम करने के तत्पश्चात स्वच्छ कपड़े धारण कर घर की मंदिर की साफ सफाई करें तथा गंगाजल से छिड़काव करें तथा घर के मंदिर में भगवान श्री हरि विष्णु जी की मूर्ति या फिर प्रतिमा को स्थापित करें तत्पश्चात फिर एक वेदी बनाएं और पूजा करने से पहले इस पर 7 प्रकार के अनाज जैसे उड़द दाल, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा रखें.
वेदी के ऊपर कलश भी स्थापित करें और इसे आम या अशोक के 5 पत्ते से सजाएं.तथा मन ही मन भगवान श्री हरि विष्णु जी के कोई भी एक मंत्र का जाप भी करते रहे.तथा भगवान श्री हरि विष्णु जी के समक्ष धूप दीप अगरबत्ती अर्पित करें तथा फल पुष्प भी अर्पित करें तत्पश्चात एकादशी की कथा भी सुने. तत्पश्चात् भगवान श्री हरि विष्णु जी की आरती करें तथा उनको सात्विक भोजन भी चढ़ाएं सात्विक भोजन में तुलसी पत्र भी होना अनिवार्य है तत्पश्चात आप जरूरतमंदों को दान दक्षिणा दें तथा भगवान को लगाया गया भोग प्रसाद के रूप में लोगों में बांट दें.
एकादशी के लिए व्रत कथा:-
एक समय की बात है। चैत्ररथ सुन्दर वन में च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी तपस्या कर रहे थे। एक रोज अप्सरा मंजुघोषा वहां से गुजर रही थी, उस दौरान उसने मेधावी को देखा और उन पर मोहित हो गई। उसने मेधावी को अपनी सुंदरता से आकर्षित करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन मेधावी पर इसका कोई असर नहीं हुआ।इसी बीच कामदेव वहां से गुजर रहे थे, वे मंजुघोषा की भावनाओं को समझ गए और उन्होंने उसकी मदद की। इसके फलस्वरुप मेधावी मंजुघोषा के प्रति आकर्षित हो गए। फिर दोनों सबकुछ भूलकर काम क्रिया में मग्न हो गए। इस कारण से मेधावी भगवान शिव की तपस्या से विमुख हो गए। काफी साल बीतने के बाद मेधावी को अपनी गलती समझ में आई। वे शिव भक्ति से विमुख करने के लिए मंजुघोषा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया। इससे वह दुखी हो गई, उसने मेधावी से क्षमा याचना की। तब उन्होंने उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत करने को कहा।चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मंजुघोषा ने पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा। व्रत के सभी नियमों का पालन किया और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा की। इस व्रत के प्रभाव से उसके सभी पाप नष्ट हो गए। वह पिशाच योनी से मुक्त हो गई। इसके बाद वह स्वर्ग लोक चली गई। वहीं मेधावी ने भी अपनी ओज और तेज की प्राप्ति के लिए पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से मेधावी भी पाप मुक्त हो गए और अपना तेज दोबारा प्राप्त कर लिया।
पापमोचनी एकादशी के लिए मंत्र तथा उपाय:-
1.एकादशी तिथि के दिन प्रातः उठकर स्नानादि करने के पश्चात भगवान विष्णु का पूजन करें और उसके बाद तुलसी की माला से “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का कम का एक माला या इससे अधिक जाप करें। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह उपाय करने से आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
2.यदि आप कर्ज से परेशान हैं और प्रयास करने के बाद भी कर्ज बढ़ता जा रहा है तो एकादशी तिथि को एक लोटा जल में थोड़ी सी चीनी मिश्रित करके उस जल को पीपल के वृक्ष में अर्पित करें और संध्या समय पीपल की जड़ में घी का दीपक जलाएं। पीपल में भगवान विष्णु का वास माना गया है। विष्णु जी की कृपा से आपके घर में धन संचय होने लगता है। कर्ज मुक्ति के योग भी बनने लगते हैं साथ ही आपको कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
3.एकादशी के दिन संध्याकाल में तुलसी के पौधे में गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं और तुलसी माता का पूजन करें इसके बाद तुलसी की 11 परिक्रमा करें। तुलसी की परिक्रमा करते समय ”ऊँ वासुदेवाय नम:” मंत्र का उच्चारण करें। इससे आपके परिवार में समृद्धि बनी रहती है। परिवार के सदस्यों में आपसी प्रेम की भावना बढ़ती है घर का वातावरण शांत और सकारात्मक होता है।
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…
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