ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों आज मैं आपको अपने इस ब्लॉग में पौष पुत्रदा एकादशी के विषय में बताने जा रहा हूं
पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व:-
हमारे हिंदू धर्म ग्रंथ में पुराणों के धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है. इस वजह से इस व्रत को किया जाता है. भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पौष पुत्रदा एकादशी का समय:-
यह एकादशी पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 12 जनवरी 2022 के दिन बुधवार को शाम 4:49 पर होगा, इस तिथि का समापन 13 जनवरी 2022 के दिन गुरुवार को शाम 7:32 मिनट पर होगा. परंतु उदया तिथि के अनुसार यह एकादशी 13 जनवरी 2022 को ही मनाया जाएगा.तथा पौष एकादशी व्रत के पारण का समय 14 जनवरी 2022 के दिन शुक्रवार को प्रात: 7:15 से सुबह 9:21 मिनट तक रहेगा.
पौष पुत्रदा एकादशी के लिए पूजन सामग्री:-
भगवान् श्री हरी विष्णु जी की मूर्ति या प्रतिमा, पुष्प, फल, गंगाजल, पुष्प माला, धूप दीप, अगरबत्ती, पीला चंदन, इत्यादि.
पौष पुत्रदा एकादशी के लिए पूजन विधि:-
इस दिन आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्य कर्म करने के पश्चात आप अपने घर के मंदिर की साफ सफाई करें तथा गंगाजल से छिड़काव करें तथा मंदिर में भगवान श्री हरि विष्णु जी की प्रतिमा या मूर्ति को स्थापित करें तथा उनको पीला चंदन लगा देना चाहिए तथा पुष्पमाला पहना देना चाहिए तत्पश्चात पुष्प फल उनको चढ़ाएं तथा उनके समक्ष धूप दीप तथा अगरबत्ती इत्यादि प्रज्वलित करें अर्थात जला दें मन ही मन भगवान श्री हरि विष्णु जी के मंत्रों का ध्यान भी करते रहे तथा सायंकाल में भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा अर्चना आरती इत्यादि करने के पश्चात उनको चढ़ाया गया प्रसाद भोग के रूप में लोगों को बांट दें.
पौष पुत्रदा एकादशी के लिए कथा:-
धार्मिक कथाओं के अनुसार, भद्रावती राज्य में सुकेतुमान नाम का राजा राज्य करता था। उसकी पत्नी शैव्या थी। राजा के पास सबकुछ था, सिर्फ संतान नहीं थी। ऐसे में राजा और रानी उदास और चिंतित रहा करते थे। राजा के मन में पिंडदान की चिंता सताने लगी। ऐसे में एक दिन राजा ने दुखी होकर अपने प्राण लेने का मन बना लिया, हालांकि पाप के डर से उसने यह विचार त्याग दिया। राजा का एक दिन मन राजपाठ में नहीं लग रहा था, जिसके कारण वह जंगल की ओर चला गया।राजा को जंगल में पक्षी और जानवर दिखाई दिए। राजा के मन में बुरे विचार आने लगे। इसके बाद राजा दुखी होकर एक तालाब किनारे बैठ गए। तालाब के किनारे ऋषि मुनियों के आश्रम बने हुए थे। राजा आश्रम में गए और ऋषि मुनि राजा को देखकर प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा कि राजन आप अपनी इच्छा बताए। राजा ने अपने मन की चिंता मुनियों को बताई। राजा की चिंता सुनकर मुनि ने कहा कि एक पुत्रदा एकादशी है। मुनियों ने राजा को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने को कहा। राजा वे उसी दिन से इस व्रत को रखा और द्वादशी को इसका विधि-विधान से पारण किया। इसके फल स्वरूप रानी ने कुछ दिनों बाद गर्भ धारण किया और नौ माह बाद राजा को पुत्र की प्राप्ति हुई।
पौष पुत्रदा एकादशी के लिए मंत्र:-
1.ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र I
2.विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम I
3.विष्णु अष्टोत्रम।
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..
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