ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.तथा ईश्वर से कामना करता हूं की आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों आज मैं आपको अपने इस ब्लॉग में विजय एकादशी के विषय में बताने जा रहा हूं.
विजया एकादशी का महत्व:-
विजया एकादशी का व्रत फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। सर्वार्थ सिद्धि और त्रिपुष्कर योग के बीच इस बार विजया एकादशी मनाई जाएगी।हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार मान्यता है कि इस व्रत को रखने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती हैं। इतना ही नहीं शत्रुओं पर जीत भी हासिल होती है।
विजय एकादशी के व्रत का समय:-
इस बार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 26 फरवरी 22 यानी शनिवार को सुबह 10 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और रविवार को सुबह 8 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी। इस साल विजया एकादशी व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग में है और ये दोनों ही योग 27 फरवरी को प्रात: 08 बजकर 49 मिनट से प्रारंभ हो जाएंगे। अगले दिन 28 फरवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 06 बजकर 48 मिनट और त्रिपुष्कर योग प्रात: 05 बजकर 42 मिनट पर संपन्न होगा।
विजया एकादशी के लिए पूजन सामग्री:-
भगवान श्री हरि विष्णु जी की मूर्ति या प्रतिमा, फल, पुष्प, मिष्ठान, धूप- दीप,चंदन, तुलसी, इत्यादि.(भगवान विष्णु को तुलसी अत्यधिक प्रिय है इसीलिए इस दिन तुलसी को आवश्यक रूप से पूजन में शामिल करें.)
विजया एकादशी के लिए पूजन विधि:-
इस दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्य कर्म करने के तत्पश्चात स्वच्छ कपड़े धारण करें तथा घर के मंदिर की साफ सफाई करें तथा गंगाजल का छिड़काव करें तत्पश्चात मंदिर में भगवान श्री हरि विष्णु जी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें तत्पश्चात उनके समक्ष धूप दीप प्रज्वलित करें तथा फल पुष्प मिष्ठान चंदन तथा तुलसी अर्पित करें और भगवान की व्रत कथा का श्रवण और श्री हरि की आरती करें। शाम के समय आरती कर फलाहार ग्रहण करें।अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथा-शक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
विजय एकादशी व्रत के लिए कथा:-
हमारे हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार प्राचीन समय में श्री रामचंद्र जी तथा उनकी सेना लंका की चढ़ाई करने के लिए आगे बढ़ रहे थे परंतुलंका की चढ़ाई के रास्ते मे सागर आड़े आ रहा था। आगे जाने का कोई रास्ता दिखाई नहीं पड़ने पर श्रीराम ने चिंता व्यक्त करते हुए लक्ष्मण से पूछा कि हम आगे कैसे जा सकते हैं। तब लक्ष्मण ने कहा था कि थोड़ी दूरी पर वकदालभ्य मुनि का आश्रम है। हमें उनसे मार्गदर्शन लेना चाहिए। इसके बाद श्रीराम, लक्ष्मण समेत वकदाल्भ्य मुनि के आश्रम में पहुंचे। उन्हें प्रणाम करके अपना प्रश्न उनके सामने रख दिया।
मुनिवर ने कहा हे राम आप अपनी सेना समेत फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखें, इस एकादशी के व्रत से आप निश्चित ही समुद्र को पार कर रावण को पराजित कर देंगे। श्री रामचन्द्र जी ने तब उक्त तिथि के आने पर अपनी सेना समेत मुनिवर के बताये विधान के अनुसार एकादशी का व्रत रखा और सागर पर पुल का निर्माण कर लंका पर चढ़ाई की। राम और रावण का युद्ध हुआ जिसमें रावण मारा गया। तब से इस एकादशी को विजया एकादशी के रूप में जाना जाता है। इस बारे में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था।
विजया एकादशी व्रत के लिए मंत्र तथा उपाय:-
1.ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि!
2.ॐ नमो भगवते वासुदेवाय!
3.श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे!
हे नाथ नारायण वासुदेवाय!
4.ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्!
5.ॐ विष्णवे नम:!
6.ॐ हूं विष्णवे नम:!
7.ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि!
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा दोस्तो…
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