षटतिला एकादशी

षटतिला एकादशी

ऊँ नमः शिवाय।

राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.ईश्वर से कामना करता हूं आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे….

षटतिला एकादशी का महत्व:-

माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. षटतिला एकादशी व्रत में भगवान विष्णु को तिल से बने पकवानों का भोग लगाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है

षटतिला एकादशी के पूजा का समय:-

षटतिला एकादशी 2022 पूजा मुहूर्त 2 घंटे 9 मिनट का रहेगा. 28 जनवरी को सुबह 07 बजकर 11 मिनट से 9 बजकर 20 मिनट तक का शुभ मुहूर्त है.

षटतिला एकादशी पर पूजन सामग्री:-

भगवान् श्री हरी विष्णु जी की मूर्ति या प्रतिमा.तील से बने मिठाई.फल. फूल. अगरबत्ती.धूपबत्ती.गंगाजल.पुष्पों की माला.इत्यादि.

षटतिला एकादशी के लिए पूजन विधि:-

प्रात:काल स्नान आदि नित्य कर्म करने के तत्पश्चातघर के मंदिर केघर के मंदिर की साफ सफाई करें तथा गंगाजल छिड़काव करें तत्पश्चात घर के मंदिर में भगवान श्री हरी विष्णु जी की मूर्ति को स्थापित करने के पश्चात भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें पुष्प, धूप आदि अर्पित करें.इस दिन व्रत रखने के बाद रात को भगवान विष्णु की आराधना करें, साथ ही रात्रि में जागरण और हवन करें.इसके बाद द्वादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान के बाद भगवान विष्णु को भोग लगाएं और पंडितों को भोजन कराने के बाद स्वयं अन्न ग्रहण करें.

षटतिला एकादशी के लिए कथा:-

धार्मिक मान्यता के अनुसार एक समय नारद मुनि भगवान विष्णु के धाम बैकुण्ठ पहुंचे. वहां उन्होंने भगवान विष्णु से षटतिला एकादशी व्रत के महत्व के बारे में पूछा. नारद जी के आग्रह पर भगवान विष्णु ने बताया कि प्राचीन काल में पृथ्वी पर एक ब्राह्मण की पत्नी रहती थी. उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी. वह मेरी अन्नय भक्त थी और श्रद्धा भाव से मेरी पूजा करती थी.

एक बार उसने एक महीने तक व्रत रखकर मेरी उपासना की. व्रत के प्रभाव से उसका शरीर तो शुद्ध हो गया परंतु वह कभी ब्राह्मण एवं देवताओं के निमित्त अन्न दान नहीं करती थी, इसलिए मैंने सोचा कि यह स्त्री बैकुण्ठ में रहकर भी अतृप्त रहेगी अत: मैं स्वयं एक दिन उसके पास भिक्षा मांगने गया. जब मैंने उससे भिक्षा की याचना की तब उसने एक मिट्टी का पिण्ड उठाकर मेरे हाथों पर रख दिया. मैं वह पिण्ड लेकर अपने धाम लौट आया. कुछ समय बाद वह देह त्याग कर मेरे लोक में आ गई.

यहां उसे एक कुटिया और आम का पेड़ मिला. खाली कुटिया को देखकर वह घबराकर मेरे पास आई और बोली कि, मैं तो धर्मपरायण हूं फिर मुझे खाली कुटिया क्यों मिली? तब मैंने उसे बताया कि यह अन्नदान नहीं करने तथा मुझे मिट्टी का पिण्ड देने से हुआ है. मैंने फिर उसे बताया कि जब देव कन्याएं आपसे मिलने आएं

तब आप अपना द्वार तभी खोलना जब तक वे आपको षटतिला एकादशी के व्रत का विधान न बताएं. स्त्री ने ऐसा ही किया और जिन विधियों को देवकन्या ने कहा था उस विधि से षटतिला एकादशी का व्रत किया. व्रत के प्रभाव से उसकी कुटिया अन्न धन से भर गई. इसलिए हे नारद इस बात को सत्य मानों कि, जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करता है और तिल एवं अन्नदान करता है उसे मुक्ति और वैभव की प्राप्ति होती है.

षटतिला एकादशी के लिए मंत्र तथा उपाय:-

1.ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

2.ॐ ह्रीं श्री लक्ष्मीवासुदेवाय नमः

3.ॐ नमो नारायण

इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..

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