ऊँ नमः शिवाय।
राधे राधे दोस्तो मैं आचार्य दयानन्द आप सभी लोगो का अपने इस ब्लॉग पर स्वागत करता हूं.तथा ईश्वर से कामना करता हूं की आप सब लोग खुश होंगे सुखी होंगे संपन्न होंगे…..
दोस्तों आज मैं आपको अपने इस ब्लॉक पर माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा के विषय पर कुछ महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहा हूं
सरस्वती पूजन का महत्व:-
इस दिन ज्ञान और वाणी की देवी मां सरस्वती ब्रह्माजी के मुख से अवतरित हुई थीं. इस वजह से हर साल वसंत पंचमी को सरस्वती पूजा का आयोजन होता है.मान्यता के अनुसार वसंत पंचमी के दिन पूजा करने से मां सरस्वती जल्द ही प्रसन्न होती हैं.
सरस्वती पूजन का समय:-
हमारे हिंदुत्व पंचांग के अनुसार 5 फरवरी 2022 को मां सरस्वती की पूजा के लिए 5 घंटे 28 मिनट का शुभ मुहूर्त रहेगा.तथा सुबह 07 बजकर 19 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक मां सरस्वती की पूजा करना शुभ रहेगा.
सरस्वती पूजन के लिए सामग्री:-
माता सरस्वती जी की मूर्ति या प्रतिमा,पीले वस्त्र,चौकी( माता को स्थापित करने के लिए),पीला चंदन,हल्दी से रंगे पीले अक्षत,पीले पुष्प,हल्दी तथा केसर,पीले रंग के मीठे चावल( भोग लगाने के लिए), अगरबत्ती,गंगाजल,चंदन की धूपबत्ती इत्यादि.
सरस्वती पूजन के लिए पूजा विधि:-
जिस दिन आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान आदि नित्य कर्म करने के तत्पश्चात पीले रंग के कपड़े धारण कर लें तथा घर के मंदिर की साफ सफाई करें तथा गंगाजल का छिड़काव करें तत्पश्चात मंदिर में चौकी स्थापित करें तथा उस पर पीले रंग का वस्त्र बिछा दे तथा उस पर माता सरस्वती जी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें तत्पश्चात सरस्वती पूजन के लिए व्रत का संकल्प लें.उसके पश्चात पीले वस्त्र, पीला चंदन, हल्दी, केसर, हल्दी से रंगे पीले अक्षत, पीले पुष्प मां को अर्पित करें.इस दिन मां शरदे को पीले रंग के मीठे चावल का भोग लगाएं.तथा माता सरस्वती जी की पूजा वंदना तथा आरती करें तथा लोगों में भी मतों को चढ़ाया गया भूख प्रसाद के रूप में बांट दें.
सरस्वती पूजन के लिए मंत्र तथा उपाय:-
1.या कुंदेंदु-तुषार-हार-धवला, या शुभ्रा – वस्त्रावृता,
या वीणा – वार – दण्ड – मंडित – करा, या श्वेत – पद्मासना।
या ब्रह्माच्युत – शङ्कर – प्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दित,
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि: शेष – जाड्यापहा।।
2.मां सरस्वती जी की आरती:-
ओम जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ओम जय..
चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ ओम जय..
बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ ओम जय..
देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ ओम जय..
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ ओम जय..
धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ ओम जय..
मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ ओम जय..
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ओम जय..
ओम जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ओम जय..
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इसी जानकारी के साथ में आचार्य दयानन्द आज के अपने इस विषय को अभी विराम देता हूं.तथा कामना करता हूं .की आप सब लोगो को मेरी यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। जय श्री कृष्णा…..
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